क्या तेलंगाना एसआईआर में पूरे देश के लिए आदर्श बनेगा: सीईसी ज्ञानेश कुमार?
सारांश
Key Takeaways
- तेलंगाना का एसआईआर पूरे देश के लिए आदर्श बन सकता है।
- बिहार की एसआईआर प्रक्रिया एक सफल उदाहरण है।
- बीएलओ की मेहनत और प्रतिबद्धता महत्वपूर्ण है।
- भारत का चुनाव आयोग विश्वसनीयता में अग्रणी है।
- मतदाता सूची की शुद्धता का कार्य आवश्यक है।
हैदराबाद, 21 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने रविवार को बताया कि तेलंगाना का मतदाता सूची का विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) जल्द ही पूरे देश के लिए एक आदर्श स्थापित करेगा। उन्होंने यहाँ बूथ स्तर के अधिकारियों (बीएलओ) को संबोधित करते हुए कहा कि तेलंगाना को एसआईआर के अगले चरण में शामिल किया जाएगा।
उन्होंने उल्लेख किया कि बिहार में हाल ही में सफलतापूर्वक सम्पन्न एसआईआर प्रक्रिया को एक उदाहरण के रूप में लिया जाना चाहिए।
बीएलओ को भारतीय चुनावी प्रणाली की रीढ़ बताते हुए, उन्होंने कहा कि मतदाता सूची की शुद्धिकरण की सफलता उनकी मेहनत और प्रतिबद्धता पर निर्भर करती है। उन्होंने यह भी कहा कि पूरी दुनिया उत्सुकता से देख रही है कि भारत चुनाव कैसे आयोजित करता है।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि बिहार में आयोजित विशाल एसआईआर प्रक्रिया बिना किसी खामी के पूर्ण हुई। उन्होंने बताया कि हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में लगभग 75 लाख मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया, और यह आश्चर्यजनक है कि इस प्रक्रिया के दौरान एक भी शिकायत दर्ज नहीं हुई और पुनर्मतदान या मतगणना की आवश्यकता नहीं पड़ी। उन्होंने इस सफलता के लिए बिहार के बीएलओ को बधाई दी।
उन्होंने तेलंगाना के क्षेत्रफल को कनाडा से भी बड़ा बताते हुए कहा कि व्यापक मतदाता सूची शुद्धिकरण के पूरा होने के बाद राज्य का चुनाव प्रशासन एक नए युग में कदम रखेगा।
बीएलओ के साथ चर्चा में उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्रों में कम मतदान का मुख्य कारण शहरी मतदाताओं की उदासीनता है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के मतदाता उत्साह से कतारों में खड़े होकर अपने मताधिकार का प्रयोग कर रहे हैं, जिससे देश के लिए एक मिसाल बनी है।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने स्पष्ट किया कि भारत में चुनाव पूरी तरह से देश के कानूनों के अनुसार आयोजित किए जाते हैं, और सभी को चुनाव कानूनों का सख्ती से पालन करना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत 1995 में अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र और चुनावी सहायता संस्थान (आईडीईए) का सदस्य बना और तीन दशकों के बाद इस संस्था का अध्यक्ष बन गया।
यह इस बात का प्रमाण है कि भारत के चुनाव आयोग को विश्व में सबसे विश्वसनीय चुनाव प्रबंधन निकाय के रूप में मान्यता प्राप्त हो गई है।