क्या तेलंगाना विधानसभा सत्र के दौरान ए. रेवंत रेड्डी और केसीआर के बीच सौहार्द्र का पल आया?

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क्या तेलंगाना विधानसभा सत्र के दौरान ए. रेवंत रेड्डी और केसीआर के बीच सौहार्द्र का पल आया?

Key Takeaways

  • मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष के बीच सौहार्द्र का पल
  • सदन में केसीआर की उपस्थिति का महत्व
  • राजनीतिक तनाव और संवाद की आवश्यकता

हैदराबाद, 29 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। तेलंगाना विधानसभा में सोमवार को मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी और नेता प्रतिपक्ष के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) के बीच एक अनोखा सौहार्द्र का क्षण देखने को मिला।

शीतकालीन सत्र के पहले दिन, कार्यवाही शुरू होने से पूर्व, मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी खुद चलकर केसीआर के पास पहुंचे, उनसे हाथ मिलाया और उनका हालचाल पूछा।

यह दृश्य तब उभरा जब दोनों नेताओं के बीच सिंचाई परियोजनाओं और नदी जल बंटवारे को लेकर हाल के दिनों में तीखी जुबानी जंग चल रही थी। विधानसभा में केसीआर की उपस्थिति भी खास मानी जा रही थी, क्योंकि वह काफी समय बाद सदन में दिखाई दिए।

दिलचस्प बात यह थी कि केसीआर अन्य सदस्यों से पहले सदन में पहुंचकर अपनी सीट पर बैठ गए थे।

जैसे ही मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने विधानसभा हॉल में प्रवेश किया, उन्होंने सीधे केसीआर के पास जाकर उनसे हाथ मिलाया। इसके बाद कई मंत्रियों और विधायकों ने भी केसीआर से मुलाकात कर उनका अभिवादन किया, जिनमें मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी, श्रीधर बाबू, कोमाटिरेड्डी वेंकट रेड्डी, सीथक्का, वकिटी श्रीहरि, अदलुरी लक्ष्मण कुमार समेत अन्य नेता शामिल थे। कांग्रेस के नव-निर्वाचित विधायक नवीन यादव भी उपस्थित थे।

हालांकि, सदन में दिखी यह गर्मजोशी, बाहर चल रही सियासी तल्खी के बिल्कुल उलट थी। मुख्य विपक्षी दल भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) लगातार मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी पर केसीआर के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का आरोप लगा रही है। बीआरएस का कहना है कि मुख्यमंत्री ने न सिर्फ अपमानजनक टिप्पणियां कीं, बल्कि केसीआर की मौत की कामना भी की।

दरअसल, 21 दिसंबर को पलामुरु-रंगारेड्डी लिफ्ट सिंचाई परियोजना को लेकर बड़े आंदोलन की घोषणा करते हुए केसीआर ने कहा था कि कांग्रेस सरकार ने जनता के साथ धोखा किया है और इसके लिए वे सरकार की 'खाल उधेड़ देंगे।'

इस बयान पर मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा था कि वे केसीआर या उनके परिवार को दोबारा सत्ता में लौटने नहीं देंगे।

24 दिसंबर को नारायणपेट जिले में एक जनसभा को संबोधित करते हुए रेवंत रेड्डी ने और भी कड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा था, "केसीआर ने सत्ता में रहते हुए मेरे खिलाफ केस दर्ज कराए, मुझे जेल भेजा और परेशान किया। भगवान ने उन्हें सजा दी। जिस दिन मैंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, उसी दिन वह गिरकर घायल हो गए। मुझे उन्हें जेल में डालने की जरूरत नहीं है, उन्होंने खुद को अपने फार्महाउस में कैद कर लिया है, जहां मेरी पुलिस चारों ओर है।"

इन बयानों के बाद केसीआर के बेटे और बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामाराव (केटीआर) ने मुख्यमंत्री को संयम की सलाह दी। उन्होंने कहा कि संयम को कमजोरी न समझा जाए।

केटीआर ने कहा, "एक बेटे और एक पार्टी कार्यकर्ता के रूप में चुप रहना आसान नहीं है। हर दिन केसीआर पर बेबुनियाद आरोप लगाए जा रहे हैं। कभी उनकी चोट पर टिप्पणी, कभी उनकी सेहत पर सवाल। लोकतंत्र और संवैधानिक पद के सम्मान के कारण मैं संयम बरत रहा हूं।"

Point of View

भले ही राजनीतिक मतभेद गहरे हों। यह दर्शाता है कि लोकतंत्र में राजनीतिक संवाद और सहिष्णुता की आवश्यकता है।
NationPress
29/12/2025

Frequently Asked Questions

तेलंगाना विधानसभा में क्या हुआ?
मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी और नेता प्रतिपक्ष केसीआर के बीच एक अनोखा सौहार्द्र का क्षण देखने को मिला।
केसीआर की विधानसभा में उपस्थिति का क्या महत्व है?
यह उनके लंबे समय बाद सदन में लौटने का संकेत है, जबकि दोनों नेताओं के बीच राजनीतिक तनाव बढ़ा हुआ है।
क्या राजनीतिक तनाव में कमी आएगी?
यह घटना भविष्य में राजनीतिक संवाद और सहिष्णुता की संभावनाओं को दर्शाती है।
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