क्या गोशालाओं की व्यवस्थाओं पर कड़ाई से ठंड से एक भी गोवंश की मृत्यु नहीं होगी?
सारांश
Key Takeaways
- गोशालाओं में नियमित निरीक्षण अनिवार्य है।
- गोवंश को ठंड से सुरक्षित रखने के लिए पर्याप्त संसाधन होना चाहिए।
- दुग्ध समितियों का संचालन व्यवस्थित रहना चाहिए।
- निराश्रित गोवंश का संरक्षण सरकार की प्राथमिकता है।
लखनऊ, 3 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने बुधवार को विधान भवन में अपने कार्यालय में प्रदेश के सभी गोआश्रय स्थलों की व्यवस्थाओं की गहन समीक्षा की और अधिकारियों को कई कड़े निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि गोशालाओं का नियमित निरीक्षण आवश्यक है और किसी भी परिस्थिति में गोवंश को ठंड, भूख या असुविधा का सामना नहीं होना चाहिए। धर्मपाल सिंह ने निर्देश दिया कि गोशालाओं में हरा चारा, भूसा, साइलेज, औषधियां, तिरपाल, पेयजल और प्रकाश/सोलर लाइट की पर्याप्त मात्रा सदैव उपलब्ध रहनी चाहिए। सभी गोशालाओं में सीसीटीवी कैमरे कार्यरत रहें और बड़े गोसंरक्षण केंद्रों में ड्रोन तकनीक के इस्तेमाल पर भी विचार किया जाए।
अयोध्या: सभी गोआश्रय स्थलों पर सीसीटीवी स्थापित; पराली संग्रहण लगभग पूरा।
बाराबंकी: भूसा, साइलेज, पशु आहार और हरा चारा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध।
कासगंज: हरा चारा उपलब्ध, साइलेज की कमी, अस्थायी स्थल पर अतिरिक्त शेड की आवश्यकता।
हापुड़: पंचायत सचिवों द्वारा भ्रमण न होने से चारे की कमी, कुछ गोवंश खुले में पाए गए।
महाराजगंज: कई गोआश्रय स्थलों पर सीसीटीवी संचालित नहीं मिले।
कानपुर देहात: कई स्थानों पर हरा चारा नहीं दिया जा रहा, अभिलेख अधूरे।
प्रतापगढ़: पशु आहार का टेंडर लंबित, साफ-सफाई की स्थिति असंतोषजनक।
उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि जहां भी अनियमितता या कमी पाई गई है, उसे तुरंत ठीक किया जाए। उन्होंने जोर दिया कि ठंड से एक भी गोवंश की मृत्यु नहीं होनी चाहिए। पशुचिकित्साधिकारी स्वयं आश्रय स्थलों पर जाकर स्वास्थ्य व औषधि संबंधी सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित करें।
उन्होंने यह भी कहा कि दुग्ध समितियां किसी भी स्थिति में बंद न हों और उनका संचालन व्यवस्थित व सुचारु रहना चाहिए। निराश्रित गोवंश का संरक्षण सरकार की प्राथमिकता है, इसलिए किसी स्तर पर ढिलाई स्वीकार नहीं की जाएगी। प्रमुख सचिव पशुधन एवं दुग्ध विकास मुकेश मेश्राम ने मंत्री को आश्वस्त किया कि सभी निर्देशों का कड़ाई से पालन कराया जाएगा।
उन्होंने चेतावनी दी कि गोसंरक्षण कार्यों में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। बैठक में बताया गया कि वर्तमान में प्रदेश में 7560 गोआश्रय स्थल संचालित हैं, जिनमें 12,35,253 गोवंश संरक्षित हैं। मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के अंतर्गत 1,80,919 गोवंश सुपुर्द किए गए हैं, जिनसे 1,14,628 लाभार्थी लाभान्वित हो चुके हैं।