क्या तिरुपति बालाजी मंदिर में छुपे हैं अनगिनत रहस्य, जानें क्यों श्रीवेंकटेश्वर स्वामी को एक साथ साड़ी और धोती पहनाई जाती है?
सारांश
Key Takeaways
- तिरुपति बालाजी मंदिर आस्था का प्रमुख केंद्र है।
- लड्डू प्रसाद की विशेषता इसे अनूठा बनाती है।
- दही-चावल अर्पित करने की प्रथा भक्तों की भक्ति का प्रतीक है।
- बाल चढ़ाने की परंपरा धार्मिक मान्यता से जुड़ी है।
- प्रतिमा के पीछे समुद्र की लहरों की आवाज अद्भुत है।
नई दिल्ली, 1 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत के विभिन्न हिस्सों में स्थित मंदिरों में अनगिनत रहस्य छिपे हुए हैं, लेकिन तिरुमाला का तिरुपति बालाजी मंदिर एक असाधारण मंदिर है।
यह जगह केवल भक्तों का आस्था का केंद्र नहीं है, बल्कि इसमें कई रहस्यमय तत्व भी समाहित हैं। आज हम आपको तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़े कुछ अनसुने रहस्यों के बारे में बताएंगे।
आंध्र प्रदेश के तिरुमाला में स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर, भगवान विष्णु के अवतार श्रीवेंकटेश्वर स्वामी को समर्पित है। भक्तों का मानना है कि कलयुग में भगवान का यही निवास स्थान है, और यहां मांगी गई हर मन्नत पूरी होती है। तिरुपति बालाजी मंदिर का लड्डू प्रसाद के रूप में अत्यधिक प्रसिद्ध है, और लोग दूर-दूर से इस प्रसाद को प्राप्त करने के लिए आते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि लड्डू के अतिरिक्त भगवान तिरुपति बालाजी को दही-चावल खिलाने की परंपरा भी है? सबसे पहले उन्हें दही-चावल का भोग अर्पित किया जाता है। यह परंपरा एक भक्त की भक्ति के फलस्वरूप शुरू हुई थी।
तिरुपति बालाजी मंदिर में बाल चढ़ाने की एक प्रथा भी है। ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु ने कुबेर से ऋण लिया था और वादा किया था कि वह कलयुग के अंत तक उस ऋण को चुकाएंगे। भक्त अपनी इच्छाओं के पूरे होने पर बालों का दान करते हैं, जिसे ऋण की किस्त के रूप में देखा जाता है। इस परंपरा को लेकर अनेक किंवदंतियों का प्रचलन है।
तिरुपति बालाजी मंदिर की प्रतिमा बेहद खास है। कहा जाता है कि प्रतिमा के पीछे हमेशा समुद्र की लहरों की आवाज सुनाई देती है। जिन्होंने भी इस प्रतिमा के पीछे कान लगाया है, उन्होंने समुद्र की लहरों की आवाज अनुभव की है। इसके अलावा, इस प्रतिमा को मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु का रूप माना जाता है, इसलिए बालाजी को स्त्री और पुरुष दोनों के वस्त्र पहनाने की परंपरा रखी गई है।
इस मंदिर की प्रतिमा पर असली बाल लगे हुए हैं। ऐसा माना जाता है कि ये बाल कभी उलझते नहीं और हमेशा काले और चमकदार रहते हैं। इसके अलावा, श्री वेंकटेश्वर स्वामी की प्रतिमा को गर्मियों में पसीना आते हुए भी देखा गया है।
तिरुपति बालाजी मंदिर में एक दीया हमेशा जलता रहता है। माना जाता है कि इस दीए में कोई तेल या घी नहीं डाला जाता, फिर भी यह लगातार जलता रहता है। यह दीया सभी के लिए एक रहस्य बना हुआ है।