क्या तिरुवनंतपुरम में भाजपा की जीत के बाद लेफ्ट और कांग्रेस के बीच घमासान शुरू हो गया?
सारांश
Key Takeaways
- भाजपा ने तिरुवनंतपुरम नगर निगम में ऐतिहासिक जीत दर्ज की।
- लेफ्ट और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो चुका है।
- सीपीआई सांसद पी. संतोष कुमार ने कांग्रेस पर भाजपा की मदद का आरोप लगाया।
- कांग्रेस सांसद जेबी माथेर ने नाकामी और खराब प्रशासन का हवाला दिया।
- भाजपा ने एलडीएफ से सत्ता छीनी, जो पिछले चार दशकों से काबिज थी।
नई दिल्ली, 15 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। तिरुवनंतपुरम नगर निगम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत के बाद लेफ्ट पार्टी और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो चुका है। सीपीआई सांसद पी. संतोष कुमार ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस के नेताओं ने तिरुवनंतपुरम में भाजपा की सहायता की। इस पर कांग्रेस सांसद जेबी माथेर ने जवाब दिया है।
केरल के स्थानीय निकाय चुनावों के बाद पी. संतोष कुमार ने अपनी पार्टी की कमियों को स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि एलडीएफ गठबंधन के दृष्टिकोण से केरल निकाय चुनाव के परिणाम संतोषजनक नहीं रहे। हमें अधिक सीटें जीतने की उम्मीद थी। हम निश्चित रूप से वापसी करेंगे। जो समस्याएं हैं, उन्हें हल किया जाएगा।
इसी दौरान, सीपीआई सांसद ने कहा, "तिरुवनंतपुरम में हमारा कॉर्पोरेशन हमारे साथ था। भाजपा द्वारा जीती गई कुल सीटों में से 42 सीटों पर यूडीएफ-कांग्रेस पार्टी तीसरे स्थान पर रही। यहां तक कि उनके सांसद शशि थरूर ने भी भाजपा का समर्थन किया। भाजपा की जीत के बाद सबसे पहले शशि थरूर ने बधाई दी।"
उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस की स्थानीय नेतृत्व ने भाजपा की मदद की। जब दोनों पार्टियां एक साथ आ सकती हैं, तो हम क्या कर सकते हैं?
पी. संतोष कुमार के बयान पर कांग्रेस सांसद जेबी माथेर ने कहा, "नगर निगम में कई वर्षों से सीपीएम की नाकामी, कुशासन और खराब प्रशासन के कारण ये नतीजे आए हैं। लोगों ने अपनी नाराजगी व्यक्त की है। कांग्रेस ने पूरे राज्य में शानदार जीत हासिल की है।"
बता दें कि केरल के स्थानीय निकाय चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। पार्टी को तिरुवनंतपुरम नगर निगम में महत्वपूर्ण विजय मिली। भाजपा ने वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) से सत्ता छीन ली। इस निगम में एलडीएफ पिछले चार दशकों से अधिक समय तक काबिज रहा था। इसी लोकसभा सीट से कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर लगातार चार बार सांसद चुने जा चुके हैं।