क्या टीएमसी एक आंचलिक पार्टी है? : अग्निमित्रा पॉल
सारांश
Key Takeaways
- टीएमसी को आंचलिक पार्टी के रूप में देखा गया।
- राजनीतिक लाभ के लिए गुमराह करने का आरोप।
- वक्फ संशोधन कानून का महत्व।
- पश्चिम बंगाल के लोगों की जागरूकता।
- अग्निमित्रा पॉल का स्पष्ट स्टैंड।
कोलकाता, 28 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भाजपा की नेता अग्निमित्रा पॉल ने शुक्रवार को विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस पर तीखा आरोप लगाया। उनका कहना है कि टीएमसी एक आंचलिक पार्टी है और इसे 'आंचलिक तृणमूल कांग्रेस पार्टी' के रूप में लिखा जाना चाहिए। फिर भी, यह पार्टी खुद को बड़ा दिखाने का प्रयास कर रही है।
राष्ट्र प्रेस के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, और असम में राजनीतिक लाभ प्राप्त किया है। टीएमसी लगातार पश्चिम बंगाल के लोगों को बेबुनियादी मुद्दों का हवाला देकर गुमराह करने का प्रयास कर रही है। लेकिन अब उसकी यह कोशिश किसी भी कीमत पर सफल नहीं होगी। पश्चिम बंगाल के लोग टीएमसी के चाल, चरित्र और चेहरे से भलीभांति परिचित हो गए हैं।
अग्निमित्रा पॉल ने टीएमसी के अतिरिक्त सपा के प्रमुख अखिलेश यादव पर भी दोहरे मानदंडों का आरोप लगाया। उनका कहना है कि एक ओर जहां अखिलेश यादव और टीएमसी के अन्य नेता बीएलओ के फॉर्म भरकर सोशल मीडिया पर साझा कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर यही लोग राजनीतिक लाभ के लिए एसआईआर के संदर्भ में भ्रम फैला रहे हैं, जिसे अस्वीकार किया जाना चाहिए। पश्चिम बंगाल में टीएमसी अधिक समय तक जनता को बेवकूफ नहीं बना सकेगी। राज्य के लोग जान चुके हैं कि टीएमसी ने अपने शासनकाल में किस प्रकार जनता के हितों पर कुठाराघात किया है।
उन्होंने वक्फ संशोधन कानून पर कहा कि इसे संसद से पारित किया गया है और यह पूरे देश में मान्य है, इसलिए यह पश्चिम बंगाल में भी लागू होगा। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को यह समझना चाहिए कि पश्चिम बंगाल भारत का हिस्सा है, न कि बांग्लादेश। इस पर कोई भी किंतु-परंतु नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में टीएमसी के कार्यकर्ताओं ने जिन वक्फ की जमीनों पर कब्जा कर रखा है, उन्हें मुक्त कराने का समय अब आ गया है। सिर्फ मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति के लिए इंडिया गठबंधन के लोग वक्फ संशोधन कानून का विरोध कर रहे हैं। अब गरीब मुसलमान भी यह समझने लगे हैं कि वक्फ संशोधन कानून क्यों लाया गया है। मेरा ममता बनर्जी से सवाल है कि वह कब इन जमीनों को अवैध कब्जे से मुक्त कराएंगी?