क्या टीएमसी ने 2011 के बाद मतदाता सूची में छेड़छाड़ की थी: शंकर घोष?
सारांश
Key Takeaways
- टीएमसी पर फर्जी मतदाताओं के नाम जोड़ने का गंभीर आरोप।
- मतदाता सूची में मृतकों के नाम शामिल हैं।
- एसआईआर प्रक्रिया की उम्मीदें बढ़ी हैं।
- बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान का मुद्दा।
- राजनीतिक बयानबाजी में तेज़ी आई है।
कोलकाता, 16 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बूथ से कई फर्जी मतदाताओं के नाम हटने पर राजनीतिक बयानबाजी में तेज़ी आई है। भारतीय जनता पार्टी के विधायक शंकर घोष ने मंगलवार को टीएमसी सरकार पर निशाना साधा।
उन्होंने कहा, "मतदाता सूची में बहुत सारे मृतकों के नाम अभी भी जुड़े हुए हैं, और कई लोगों के नाम दो-तीन जगह हैं। सुवेंद्र अधिकारी और समिक भट्टाचार्य ने बताया था कि एसआईआर होने से प्रदेश के घुसपैठियों को निकालने में बहुत कामयाबी मिल सकती है। मुझे उम्मीद है कि एसआईआर की पूरी प्रक्रिया के बाद पूरे असर के बारे में पता चलेगा।"
शंकर घोष ने आगे कहा, "2011 के बाद पश्चिम बंगाल की सरकार ने अपनी मशीनरी की मदद से वोटर लिस्ट तैयार की थी। इन लिस्ट में मृतकों के नाम को वोटर लिस्ट से नहीं हटाया गया। एक मतदाता के नाम कई बूथों में शामिल हैं। कई सारे बांग्लादेशी घुसपैठिये हैं। पिछले कई सालों से ऐसा ही चलता आया है, लेकिन एसआईआर के बाद यह खत्म हो जाएगा। इस बार सूची से जिनका नाम हटाया गया है, उनमें मृतकों और शिफ्टेड वोटर के नाम बहुत ज्यादा हैं। इसके बाद घुसपैठियों को डिटेक्ट, डिलीट और डिपोर्ट के कार्यक्रम होंगे।"
उन्होंने ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा, "टीएमसी ने 2011 के बाद वोटर लिस्ट में छेड़छाड़ की थी, जिसमें कई सारे फेक वोटर्स शामिल किए गए। इन फेक वोट पर ही ममता बनर्जी की पार्टी ने हर चुनाव में मार्जिन बनाया था। जब उनके नाम हटेंगे तो टीएमसी नहीं बचेगा।"
उन्होंने फुटबॉलर लियोनल मेसी के कोलकाता दौरे के दौरान स्टेडियम में हुई तोड़फोड़ पर टीएमसी को घेरते हुए कहा, "सबसे पहले उन राजनेताओं पर एक्शन होना चाहिए, जो अपने परिवार के साथ मेसी के पास थे और सेल्फी लेने की होड़ मचाई थी।"