क्या टीएमसी का आरोप सच है? एसआईआर के जरिए एनआरसी लागू करने की कोशिश का दावा

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क्या टीएमसी का आरोप सच है? एसआईआर के जरिए एनआरसी लागू करने की कोशिश का दावा

सारांश

पश्चिम बंगाल की मंत्री डॉ. शशि पांजा ने एसआईआर की आलोचना की है, इसे एनआरसी का पिछला दरवाजा बताया। भाजपा पर आरोप लगाते हुए, उन्होंने सवाल उठाया कि इतनी जल्दी संशोधन करने का औचित्य क्या है। जानें इस मामले की पूरी जानकारी।

Key Takeaways

  • टीएमसी का आरोप - एसआईआर एनआरसी का पिछले दरवाजे से प्रवेश है।
  • भाजपा पर गलत सूचना फैलाने का आरोप।
  • चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठाए गए।
  • मतदाता सूची की सटीकता सुनिश्चित करने का लक्ष्य।
  • राजनीतिक प्रेरणा से संचालित कदम बताया गया।

नई दिल्ली, 27 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। पश्चिम बंगाल की मंत्री और तृणमूल कांग्रेस की नेता डॉ. शशि पांजा ने सोमवार को मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की निंदा करते हुए इसे राजनीतिक प्रेरणा से संचालित कदम और 'एनआरसी के लिए पिछले दरवाजे से प्रवेश' कहा।

उन्होंने भाजपा पर गलत जानकारी फैलाने और भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) के मामलों में हस्तक्षेप करने का भी आरोप लगाया।

पांजा ने राष्ट्र प्रेस से कहा, "भाजपा झूठ फैलाने की कोशिश कर रही है। तृणमूल ने कभी नहीं कहा कि मृत मतदाताओं के नाम सूची में बने रहने चाहिए। इसके पीछे क्या खास वजह है, जो हमें नहीं पता। इस अनावश्यक जल्दबाजी के कारण हम एसआईआर के खिलाफ हैं। हम चुनाव आयोग से सवाल पूछते हैं, लेकिन जवाब भाजपा ही देती है। अगर 2024 की मतदाता सूची सही थी, तो अब यह बदलाव क्यों? एसआईआर कुछ और नहीं बल्कि एनआरसी के लिए पिछले दरवाजे से प्रवेश है।"

मंत्री ने कहा, "हमने एसआईआर का विरोध इसलिए किया क्योंकि हम सवाल उठा रहे थे कि इसे इतनी जल्दी क्यों लागू किया जा रहा है, न कि उचित समय और तैयारी के साथ। एसआईआर को तीन महीने के भीतर पूरा करने की इतनी जल्दी क्यों? यह हाल ही में बिहार में किया गया था। मान लीजिए कि वे बाद में इसमें कुछ बदलाव करते हैं, तो समय सीमा का क्या होगा? हमने इस बारे में चुनाव आयोग से सवाल किया, लेकिन भाजपा ने इस पर कोई प्रतिक्रिया क्यों दी?"

पांजा ने तर्क दिया कि यदि 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान इस्तेमाल की गई मतदाता सूची पश्चिम बंगाल सहित पूरे भारत में मान्य और विश्वसनीय मानी जाती है, तो इतनी जल्दी नया संशोधन करने का कोई औचित्य नहीं है।

उन्होंने कहा, "चुनाव आयोग से हमारा मुख्य प्रश्न सरल था। यदि 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए इस्तेमाल की गई मतदाता सूची बंगाल सहित पूरे भारत में सटीक और मान्य मानी जाती है, तो 2026 में बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए उसी मतदाता सूची का इस्तेमाल क्यों नहीं किया जा सकता?"

इस बीच, पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) कार्यालय ने घोषणा की है कि वह एसआईआर की अधिसूचना जारी होने के तुरंत बाद दो-स्तरीय दैनिक चुनावी प्रशासन प्रणाली लागू करेगा।

अतिरिक्त सीईओ स्तर का एक अधिकारी जिलाधिकारियों के साथ दैनिक प्रगति की समीक्षा करेगा, जबकि संयुक्त सीईओ स्तर के अधिकारी जिलों में इस प्रक्रिया की निगरानी के लिए निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों (ईआरओ) के साथ समन्वय करेंगे।

चुनाव आयोग का कहना है कि एसआईआर प्रक्रिया का उद्देश्य मतदाता सूची की सटीकता सुनिश्चित करना है।

Point of View

तृणमूल कांग्रेस के आरोपों से स्पष्ट होता है कि चुनावी प्रक्रियाओं में राजनीतिक खेल खेला जा सकता है। चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठाना महत्वपूर्ण है, ताकि लोकतंत्र की बुनियाद को मजबूती मिले।
NationPress
27/10/2025

Frequently Asked Questions

एसआईआर क्या है?
एसआईआर का मतलब विशेष गहन पुनरीक्षण है, जो मतदाता सूची की सटीकता सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है।
टीएमसी ने एसआईआर पर क्या आरोप लगाए हैं?
टीएमसी का आरोप है कि एसआईआर एनआरसी के लिए पिछले दरवाजे से प्रवेश है और इसे राजनीतिक प्रेरणा से संचालित किया जा रहा है।
भाजपा पर क्या आरोप हैं?
भाजपा पर गलत जानकारी फैलाने और चुनाव आयोग में हस्तक्षेप करने के आरोप लगाए गए हैं।
चुनाव आयोग का इस मामले में क्या कहना है?
चुनाव आयोग का कहना है कि एसआईआर प्रक्रिया का उद्देश्य मतदाता सूची की सटीकता सुनिश्चित करना है।
क्या एसआईआर का विरोध करना सही है?
प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और समय पर सुधार के लिए सवाल उठाना महत्वपूर्ण है, ताकि लोकतंत्र की मजबूती बनी रहे।