क्या है धर्म कर्म का अद्भुत संयोग: त्रयोदशी श्राद्ध, शुक्र प्रदोष और मासिक शिवरात्रि?

सारांश
Key Takeaways
- त्रयोदशी श्राद्ध पितरों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का एक तरीका है।
- शुक्र प्रदोष व्रत का पालन सुख और समृद्धि के लिए किया जाता है।
- मासिक शिवरात्रि भगवान शिव की आराधना का विशेष अवसर है।
नई दिल्ली, १८ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि शुक्रवार को है। यह दिन त्रयोदशी श्राद्ध, शुक्र प्रदोष व्रत के साथ मासिक शिवरात्रि व्रत का दुर्लभ योग लेकर आ रहा है।
दृक पंचांग के अनुसार, इस दिन सूर्य कन्या राशि में रहेंगे और चंद्रमा सुबह ७ बजकर ५ मिनट तक कर्क राशि में रहेंगे। इसके बाद सिंह राशि में गोचर करेंगे। अभिजीत मुहूर्त सुबह ११ बजकर ५० मिनट से शुरू होकर दोपहर के १२ बजकर ३९ मिनट तक रहेगा।
पुराणों के अनुसार, त्रयोदशी श्राद्ध पितृ पक्ष की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है। इस दिन उन पितरों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु त्रयोदशी तिथि को हुई थी या जिनकी तिथि अज्ञात है।
इस श्राद्ध में मुख्य रूप से उन अल्पायु पितरों और मृत बच्चों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी आयु दो वर्ष से अधिक हो। त्रयोदशी श्राद्ध में तर्पण, पिंडदान और ब्राह्मण भोज के साथ पितरों को अन्न-जल का भोग लगाया जाता है।
गुजरात में इसे 'काकबली' और 'बालभोलनी तेरस' के नाम से भी जाना जाता है। पितृ पक्ष में पार्वण श्राद्ध के लिए कुतुप (सुबह ११ बजकर ३० मिनट से १२ बजकर ४२ मिनट के बीच) और रौहिण मुहूर्त शुभ माने जाते हैं। श्राद्ध के अनुष्ठान अपराह्न काल तक पूरे कर लेने चाहिए और अंत में तर्पण किया जाता है, जिससे पितरों को शांति और तृप्ति मिलती है।
इसी दिन शुक्र प्रदोष व्रत का पालन भी होगा, जो चंद्र मास की दोनों त्रयोदशी तिथियों पर किया जाता है, जो शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में आती हैं। यह व्रत तब किया जाता है, जब त्रयोदशी तिथि प्रदोष काल (सूर्यास्त के समय) में व्याप्त होती है।
शुक्र प्रदोष व्रत विशेष रूप से सौंदर्य, सुख, धन और वैवाहिक जीवन की सुख-शांति के लिए किया जाता है। यह व्रत महिलाओं के लिए विशेष कल्याणकारी माना जाता है और इससे घर में लक्ष्मी का वास होता है। भगवान शिव की पूजा से सभी ग्रहों के दोष दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। नियमपूर्वक व्रत करने से प्रणय जीवन में सुख और धन-वैभव की प्राप्ति होती है।
इस दिन मासिक शिवरात्रि का योग भी है, यह हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव की पूजा और व्रत करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। मासिक शिवरात्रि पर भगवान शिव की विशेष पूजा करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं और उसकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।