क्या त्रिवृत आयुर्वेद की प्राकृतिक शुद्धिकारक औषधि है? जानें लाभ और सेवन का सही तरीका

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क्या त्रिवृत आयुर्वेद की प्राकृतिक शुद्धिकारक औषधि है? जानें लाभ और सेवन का सही तरीका

सारांश

क्या आप जानते हैं कि त्रिवृत, एक प्राचीन आयुर्वेदिक औषधि, आपके शरीर को विषाक्त तत्वों से मुक्त करने में कितनी प्रभावी हो सकती है? इस लेख में हम त्रिवृत के लाभ, इसके सेवन की विधियों और सावधानियों के बारे में जानेंगे।

Key Takeaways

  • त्रिवृत एक शक्तिशाली शुद्धिकारक औषधि है।
  • यह शरीर की प्राकृतिक सफाई में सहायक है।
  • कब्ज की समस्या में त्रिवृत बहुत लाभकारी है।
  • गर्भवती महिलाओं को इसके सेवन से बचना चाहिए।
  • सही मात्रा में सेवन से ही इसका अधिकतम लाभ मिलता है।

नई दिल्ली, 29 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। त्रिवृत, जिसे आयुर्वेद में ऑपरकुलिना टर्पेथम लिन के नाम से जाना जाता है, एक शक्तिशाली शुद्धिकारक औषधि है, जो शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने की क्षमता रखती है। संस्कृत में इसे निशोत्र, त्रिवृत और सामान्य भाषा में निशोत या तरपथा भी कहा जाता है।

आयुर्वेद में त्रिवृत को विशेष रूप से द्रव्यगुण विज्ञान में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है, क्योंकि यह त्रिदोषों वायु, पित्त और कफ के संतुलन के साथ-साथ शरीर की प्राकृतिक सफाई में भी सहायक होती है। इसका मुख्य कार्य शरीर की शुद्धि करना है, जो इसे प्राकृतिक रेचक औषधियों की श्रेणी में सबसे आगे रखता है।

त्रिवृत विशेष रूप से कब्ज को दूर करने के लिए प्रसिद्ध है। यह आंतों की सफाई करता है और पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है। इसके नियमित सेवन से जठराग्नि संतुलित होती है, जिससे भूख बढ़ती है और भोजन का समुचित पाचन होता है। इसके अलावा, त्रिवृत रक्त को शुद्ध करने में भी सहायक है, जो फोड़े-फुंसी, खुजली और अन्य त्वचा रोगों में लाभकारी होता है। यह कफ और पित्त को भी संतुलित करता है, जिससे उन दोषों से संबंधित रोगों में राहत मिलती है।

बुखार की स्थिति में त्रिवृत को अन्य ज्वरहर औषधियों के साथ प्रयोग किया जाता है। जलोदर यानी पेट में तरल पदार्थ भर जाने की समस्या और आमवात जैसी जटिल स्थितियों में भी त्रिवृत का उपयोग लाभकारी माना गया है।

त्रिवृत के सेवन के कई तरीके हैं। 1 से 3 ग्राम तक त्रिवृत चूर्ण गुनगुने पानी या दूध के साथ लिया जा सकता है। रक्तशुद्धि और त्वचा रोगों में इसे शहद के साथ देना अधिक लाभकारी होता है, जबकि कब्ज में घी के साथ लेना उपयोगी रहता है। त्रिवृत का काढ़ा (क्वाथ) भी तैयार किया जाता है, जो 30 से 40 एमएल की मात्रा में चिकित्सकीय सलाह से दिया जाता है। इसे त्रिवृत लवण, अभयादि चूर्ण जैसे अन्य योगों में भी मिलाकर उपयोग किया जाता है।

हालांकि, कुछ सावधानियों का पालन आवश्यक है। गर्भवती महिलाओं, छोटे बच्चों और अति-पित्त या अल्सर से पीड़ित रोगियों को बिना चिकित्सकीय परामर्श के इसका सेवन नहीं करना चाहिए। अधिक मात्रा में लेने से दस्त, कमजोरी और निर्जलीकरण हो सकता है।

Point of View

एक प्राचीन आयुर्वेदिक औषधि है, जो शरीर की प्राकृतिक सफाई में सहायक साबित हुई है। इसके उपयोग से संबंधित जानकारी और सावधानियों के प्रति जागरूक रहना आवश्यक है। यह औषधि प्राकृतिक उपचारों की ओर लौटने की प्रवृत्ति को दर्शाती है, जो वर्तमान समय में महत्वपूर्ण है।
NationPress
29/09/2025

Frequently Asked Questions

त्रिवृत का सेवन कैसे किया जाता है?
1 से 3 ग्राम त्रिवृत चूर्ण को गुनगुने पानी या दूध के साथ सेवन किया जा सकता है।
क्या त्रिवृत गर्भवती महिलाओं के लिए सुरक्षित है?
गर्भवती महिलाओं को बिना चिकित्सकीय परामर्श के त्रिवृत का सेवन नहीं करना चाहिए।
त्रिवृत का मुख्य लाभ क्या है?
त्रिवृत का मुख्य लाभ शरीर की शुद्धि करना और कब्ज को दूर करना है।
क्या त्रिवृत का सेवन त्वचा रोगों में लाभकारी है?
हां, त्रिवृत रक्त को शुद्ध करने में मदद करता है, जिससे त्वचा रोगों में लाभ होता है।
क्या त्रिवृत का सेवन करने से कोई साइड इफेक्ट हो सकते हैं?
अधिक मात्रा में लेने पर दस्त, कमजोरी और निर्जलीकरण हो सकता है।