त्रियुगीनारायण मंदिर क्यों है शादियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल?
सारांश
Key Takeaways
- त्रियुगीनारायण मंदिर विवाहों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है।
- यहाँ की अखंड ज्योति वैवाहिक जीवन में सुखदायक मानी जाती है।
- भक्त यहाँ हवन कर आशीर्वाद लेते हैं।
- मंदिर की वास्तुकला और शांत वातावरण इसे खास बनाते हैं।
- यहाँ शादी करने से दंपत्तियों के रिश्ते में प्रेम और समझ बढ़ता है।
रुद्रप्रयाग, 23 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग ज़िले के केदारघाटी क्षेत्र में स्थित त्रियुगीनारायण मंदिर विवाहों के लिए एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। इसके पीछे की पौराणिक कहानियाँ और धार्मिक महत्व इसे और भी विशेष बनाते हैं।
इस मंदिर को भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह स्थल माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि त्रेता युग में यहीं पर भगवान शिव और माता पार्वती ने विवाह किया था। इस अद्भुत अवसर पर भगवान विष्णु ने विवाह का आयोजन किया और ब्रह्मा जी पुरोहित बने। इसी कारण से यह मंदिर हर विवाह और वैवाहिक जीवन के लिए शुभ माना जाता है।
मंदिर की एक प्रमुख विशेषता यहाँ की अखंड ज्योति है। कहा जाता है कि यह ज्योति उस समय से जल रही है, जब भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इसे अखंड धूनी भी कहा जाता है। लोग मानते हैं कि यहाँ के फेरे लेने से और इसकी राख को साथ लेकर जाने से वैवाहिक जीवन सुखद और मजबूत बनता है।
कई भक्त यहाँ आकर विवाह की खुशियों और सुख की कामना के लिए हवन करते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
इसके अतिरिक्त, मंदिर की वास्तुकला भी दर्शनीय है। प्राचीन शैली में निर्मित यह मंदिर सभी को आकर्षित करता है। पत्थर और लकड़ी की नक्काशी इसे और भी खूबसूरत बनाती है।
इस मंदिर का शांत वातावरण और पवित्र माहौल इसे विवाह के लिए और अधिक उपयुक्त बनाता है। अनेक लोग मानते हैं कि यहाँ विवाह करने वाले दंपत्तियों के रिश्ते में प्रेम, समझ और समर्पण बढ़ता है।
यहाँ केवल विवाह ही नहीं, बल्कि वैवाहिक जीवन में सुख, शांति और समृद्धि के लिए भी भक्त आते हैं। यहाँ आने वाले लोग अखंड ज्योति को देखकर भगवान से आशीर्वाद मांगते हैं।
भक्तों का विश्वास है कि यदि कोई इस मंदिर में आकर भगवान शिव और माता पार्वती से आशीर्वाद लेता है, तो उसका वैवाहिक जीवन सुखद रहता है।