क्या उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे की विचारधाराएं बिल्कुल अलग हैं? : मनीषा कायंदे

सारांश
Key Takeaways
- उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे की विचारधाराएं भिन्न हैं।
- महायुति का विकास कार्यों में महत्वपूर्ण स्थान है।
- राजनीतिक रिश्ते कभी-कभी विचारधाराओं से प्रभावित होते हैं।
- ममता बनर्जी को घटनाओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर हर राज्य का अपना अधिकार है।
मुंबई, 28 जून (राष्ट्र प्रेस)। शिवसेना की प्रवक्ता मनीषा कायंदे ने उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के एक साथ आने की संभावना पर गहरी टिप्पणी की। उन्होंने शनिवार को कहा कि उद्धव ठाकरे ने हिंदुत्व का मार्ग छोड़ दिया है, जबकि राज ठाकरे अपने आपको कट्टर हिंदूवादी मानते हैं। इसलिए, इन दोनों नेताओं का एक साथ आना विचारधाराओं के टकराव के कारण संभव नहीं है।
मनीषा कायंदे ने व्यंग्य करते हुए कहा, "उद्धव ठाकरे को पहले अपने परिवार और अपनी 'किचन कैबिनेट' से अनुमति लेनी होगी। दो भाईयों का एक साथ आना और दो दलों का एकजुट होना विभिन्न बातें हैं।"
उन्होंने आगे कहा कि दोनों दलों का एक होने का निर्णय समय पर निर्भर करेगा, क्योंकि उनकी विचारधाराएं एकदम अलग हैं। कायंदे ने उद्धव ठाकरे पर कटाक्ष करते हुए कहा कि हिंदुत्व को छोड़ने के बाद उन्हें यह बताना होगा कि क्या वे राज ठाकरे की हिंदुत्ववादी विचारधारा के साथ सामंजस्य बिठा सकेंगे।
उन्होंने कहा, "महायुति बहुत मजबूत है। पिछले ढाई-तीन साल से महाराष्ट्र में महायुति शानदार कार्य कर रही है। विकास कार्यों में केंद्र सरकार का पूरा सहयोग मिल रहा है। आगामी महानगरपालिका और नगरपालिका चुनावों में महायुति निश्चित रूप से जीत हासिल करेगी। महायुति की एकजुटता और विकास कार्यों के कारण जनता का भरोसा उनके साथ है।"
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के लॉ कॉलेज में बलात्कार के मामले पर मनीषा कायंदे ने तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधा। उन्होंने ममता बनर्जी से इस्तीफे की मांग करते हुए कहा, "ममता बनर्जी एक महिला मुख्यमंत्री हैं, लेकिन आर.जी. कर कॉलेज में हुई घटना के बाद पूरे देश से तीखी प्रतिक्रियाएं आईं और बड़े पैमाने पर आंदोलन हुए। यदि वे सबक नहीं लेतीं तो उन्हें इस्तीफा देना चाहिए।"
उन्होंने कहा कि कुछ लोग गलतफहमी में हैं कि हिंदी को जबरन थोपा जा रहा है। महायुति इस मुद्दे पर उचित निर्णय लेगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) की सीमाएं और आवश्यकताएं हर राज्य के अपने अधिकार क्षेत्र में हैं। नई शिक्षा नीति की सीमा और आवश्यकता क्या है, यह हर राज्य का अपना अधिकार है कि वे तय करेंगे।