क्या उद्धव ठाकरे ने मराठी अस्मिता के हित में ठोस निर्णय लेने का समय बताया?
सारांश
Key Takeaways
- उद्धव ठाकरे का भाजपा पर गंभीर आरोप।
- मराठी अस्मिता के हित में ठोस निर्णय का समय।
- शिवसेना और मनसे के बीच राजनीतिक गठबंधन।
- संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन का ऐतिहासिक संदर्भ।
- राजनीतिक और भावनात्मक पहलुओं का महत्व।
मुंबई, 28 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। बीएमसी चुनाव से पूर्व महाराष्ट्र की राजनीतिक गतिविधियाँ तेज हो गई हैं। इसी सिलसिले में रविवार को बीएमसी चुनाव से संबंधित एक महत्वपूर्ण बैठक के दौरान शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए। पार्टी ने इस बैठक का वीडियो साझा किया है।
उद्धव ठाकरे ने कार्यकर्ताओं में उत्साह भरते हुए कहा कि भाजपा ने अब तक शिवसेना का दुरुपयोग किया है। दूसरी ओर, कांग्रेस के साथ गठबंधन का अनुभव भी सबके सामने है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि अब समय आ गया है कि महाराष्ट्र और मराठी अस्मिता के हित में ठोस और स्पष्ट निर्णय लिए जाएं।
उद्धव ठाकरे ने बताया कि महाराष्ट्र और मराठी अस्मिता के हित में शिवसेना ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के साथ गठबंधन करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि किसी भी गठबंधन में 100 प्रतिशत मनचाहे निर्णय संभव नहीं होते। कुछ सीटें शिवसेना को मिलेंगी और कुछ मनसे को, लेकिन यह गठबंधन किसी मजबूरी में नहीं, बल्कि सोच-समझकर किया गया निर्णय है।
शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख ने कहा कि इस गठबंधन के पीछे केवल राजनीतिक कारण नहीं हैं, बल्कि भावनात्मक, परंपरागत और पारिवारिक रिश्ते भी महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे इस निर्णय को व्यापक दृष्टिकोण से देखें और मराठी हितों को सर्वोपरि रखें।
अपने संबोधन में उद्धव ठाकरे ने संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि उस ऐतिहासिक संघर्ष में भाजपा और संघ का कोई योगदान नहीं था। उन्होंने आरोप लगाया कि उस समय मुंबई गुजरात का हिस्सा बनने की योजनाएँ बनाई जा रही थीं, जिसके खिलाफ महाराष्ट्र की जनता को संघर्ष करना पड़ा।
उद्धव ठाकरे ने उस समय के मुख्यमंत्री मोरारजी देसाई को आंदोलन का विरोधी बताते हुए कहा कि उनके खिलाफ संघर्ष में प्रबोधन ठाकरे जैसे बड़े नेता शिवसेना के साथ दृढ़ता से खड़े थे।