क्या उद्धव ने भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच का विरोध किया? यह देशभक्ति का व्यवसायीकरण है!

सारांश
Key Takeaways
- उद्धव ठाकरे ने क्रिकेट मैच को लेकर सरकार पर आरोप लगाया है।
- भारत-पाकिस्तान मैच पर राजनीतिक विवाद बढ़ गया है।
- आम आदमी पार्टी ने इस मैच का विरोध किया।
नई दिल्ली, 13 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। एशिया कप में आयोजित होने वाले भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच को लेकर देशभर में राजनीतिक हलचल मची हुई है। विपक्ष इस मैच को लेकर सरकार पर हमला कर रहा है। इसी के चलते शिवसेना (यूबीटी) के नेता उद्धव ठाकरे ने केंद्र सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभक्ति को एक व्यापार में बदल दिया है।
उद्धव ठाकरे ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री ने कहा था कि खून और पानी साथ नहीं बह सकते। यदि ऐसा है, तो खेल और खून कैसे एक साथ हो सकते हैं? युद्ध और खेल एक साथ कैसे हो सकते हैं? यह सब बकवास है। उन्होंने देशभक्ति का व्यवसायीकरण कर दिया है। कल वे एक मैच आयोजित कर रहे हैं केवल इसीलिए कि उन्हें इससे धन चाहिए; उन्हें दान चाहिए। उन्हें इस बात की परवाह नहीं है कि देश को कितना नुकसान हो रहा है या लोग मर रहे हैं। वे बेफिक्री से खेलते रहेंगे और देशभक्ति की शिक्षा देते रहेंगे।
वहीं, उद्धव ठाकरे के बयान पर मंत्री नितेश राणे ने पलटवार किया। उन्होंने कहा कि क्या सामना या उद्धव ठाकरे को इस मैच पर बोलने का नैतिक अधिकार है? जब उद्धव ठाकरे चुनाव में जीतने के बाद अपनी विजय रैली में 'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारे लगवा रहे थे, तब उनके मन में पाकिस्तान के प्रति कोई गुस्सा नहीं था। अब अचानक उन्हें भारत के प्रति प्रेम क्यों जाग गया है?
नितेश राणे ने कहा कि वही आदित्य ठाकरे बुर्का पहनकर इस मैच को छुपकर देखेंगे।
इसके अलावा, आम आदमी पार्टी (आप) ने इस मैच का विरोध करते हुए पाकिस्तान क्रिकेट टीम का पुतला जलाया। इस मौके पर आप के दिल्ली अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज, विधायक संजीव झा और कुलदीप कुमार शामिल हुए।
उन्होंने कहा कि हम इस मैच का विरोध कर रहे हैं और भारत सरकार से गुजारिश करते हैं कि इसे तुरंत रोका जाए। पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले को लेकर सौरभ भारद्वाज ने कहा कि आज पाकिस्तान क्रिकेट टीम का पुतला जलाया गया क्योंकि ये वही क्रिकेटर हैं जिन्होंने उस हमले का समर्थन किया था।
आप विधायक संजीव झा ने बीसीसीआई और आईसीसी में बैठे भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से पूछा कि क्या वे इस अपमान को सहन करेंगे? आपने कहा था कि खून और पानी साथ नहीं बह सकते, तो खून और क्रिकेट एक साथ कैसे चल सकते हैं? क्यों? क्योंकि यह व्यापार और सत्ता का मामला है?