क्या मृतकों के आधार नंबर होंगे निष्क्रिय? यूआईडीएआई ने उठाया बड़ा कदम

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क्या मृतकों के आधार नंबर होंगे निष्क्रिय? यूआईडीएआई ने उठाया बड़ा कदम

सारांश

यूआईडीएआई ने मृतकों के आधार नंबरों को निष्क्रिय करने की प्रक्रिया शुरू की है। यह कदम उनकी पहचान के गलत उपयोग को रोकने के लिए उठाया गया है। जानिए इस नई सेवा के बारे में और कैसे आप अपने परिवार के मृत सदस्य का आधार नंबर बंद कर सकते हैं।

Key Takeaways

  • मृतकों के आधार नंबर को निष्क्रिय करने की प्रक्रिया शुरू की गई है।
  • यूआईडीएआई ने 'माय आधार' पोर्टल पर नई सेवा शुरू की है।
  • यह कदम पहचान के गलत उपयोग को रोकने के लिए है।
  • 24 राज्यों में सेवा उपलब्ध है, अन्य राज्यों में जल्द शुरू होगी।

नई दिल्ली, 17 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए उन आधार नंबरों को निष्क्रिय करने का निर्णय लिया है, जो उन व्यक्तियों के हैं जिनकी मृत्यु हो चुकी है। यह कदम उनकी पहचान के गलत उपयोग से बचाने के लिए उठाया गया है। आधार नंबर हर भारतीय नागरिक को आवंटित की जाने वाली एक 12 अंकों की विशिष्ट पहचान होती है। किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद, उनके आधार नंबर का निष्क्रिय होना आवश्यक है ताकि उनका गलत उपयोग न हो सके।

यूआईडीएआई ने इस प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए 9 जून 2025 को 'माय आधार' पोर्टल पर एक नई सेवा “परिवार के सदस्य की मृत्यु की सूचना” शुरू की। इस सेवा के माध्यम से, कोई भी व्यक्ति अपने परिवार के मृत सदस्य का आधार नंबर बंद कराने के लिए आवेदन कर सकता है। इसके लिए उन्हें अपनी पहचान को प्रमाणित करना होगा और मृत व्यक्ति का आधार नंबर, मृत्यु प्रमाण पत्र की जानकारी सहित अन्य विवरण प्रदान करने होंगे। यह सुविधा वर्तमान में 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में उपलब्ध है, और इसे अन्य राज्यों में भी जल्द ही लागू किया जाएगा।

यूआईडीएआई ने भारत के महापंजीयक (आरजीआई) से आधार नंबरों से संबंधित मृत्यु रिकॉर्ड साझा करने का अनुरोध किया था। आरजीआई ने अब तक 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (सीआरएस) के माध्यम से लगभग 1.55 करोड़ मृत्यु रिकॉर्ड प्रदान किए हैं। उचित सत्यापन के बाद करीब 1.17 करोड़ आधार नंबर निष्क्रिय किए जा चुके हैं। गैर-सीआरएस राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए भी इसी तरह की प्रक्रिया चल रही है। अब तक लगभग 6.7 लाख मृत्यु रिकॉर्ड प्राप्त हो चुके हैं और उन्हें निष्क्रिय करने की प्रक्रिया जारी है।

यूआईडीएआई राज्य सरकारों के सहयोग से मृतक आधार संख्या धारकों की पहचान करने का प्रयास कर रहा है। एक पायलट परियोजना के तहत, 100 वर्ष से अधिक आयु के आधार धारकों का डेमोग्राफिक डेटा राज्यों को भेजा जा रहा है, ताकि यह सत्यापित किया जा सके कि वे जीवित हैं या नहीं। रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद, ऐसे आधार नंबर को निष्क्रिय करने से पहले आवश्यक सत्यापन किया जाएगा।

यूआईडीएआई की अपील है कि जब किसी परिवार के सदस्य का निधन हो जाए और मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त हो जाए, तो 'माय आधार' पोर्टल पर उनकी जानकारी प्रदान करें, ताकि उनका आधार नंबर समय पर बंद किया जा सके।

Point of View

बल्कि यह हमारी सामाजिक जिम्मेदारी का भी एक हिस्सा है।
NationPress
17/07/2025

Frequently Asked Questions

यूआईडीएआई ने मृतकों के आधार नंबरों को निष्क्रिय करने का निर्णय क्यों लिया?
यूआईडीएआई ने मृतकों के आधार नंबरों को निष्क्रिय करने का निर्णय उनकी पहचान के गलत उपयोग को रोकने के लिए लिया है।
कौन सी नई सेवा यूआईडीएआई ने शुरू की है?
यूआईडीएआई ने 'माय आधार' पोर्टल पर 'परिवार के सदस्य की मृत्यु की सूचना' सेवा शुरू की है।
इस सेवा का लाभ कौन उठा सकता है?
इस सेवा का लाभ कोई भी व्यक्ति उठा सकता है, जो अपने परिवार के मृत सदस्य का आधार नंबर बंद कराना चाहता है।
क्या यह सेवा सभी राज्यों में उपलब्ध है?
यह सेवा वर्तमान में 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में उपलब्ध है, और अन्य राज्यों में भी जल्द शुरू की जाएगी।
मृतक के आधार नंबर को बंद करने के लिए क्या-क्या जानकारी आवश्यक है?
इसके लिए आपको मृत व्यक्ति का आधार नंबर, मृत्यु प्रमाण पत्र की जानकारी और अन्य विवरण प्रदान करने होंगे।