क्या सांसद के तौर पर शपथ लेना गर्व की बात है? : उज्ज्वल निकम

सारांश
Key Takeaways
- उज्ज्वल निकम ने संविधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई।
- उन्होंने शपथ ग्रहण के बाद अपने कर्तव्यों को निभाने का आश्वासन दिया।
- संसद में जनहित के मुद्दों को प्राथमिकता देने की बात कही।
- उन्होंने न्यायिक प्रक्रिया के महत्व पर जोर दिया।
- उन्हें मुंबई बम विस्फोट मामले की स्थिति पर अपनी राय साझा की।
नई दिल्ली, 24 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। नवनिर्वाचित राज्यसभा सांसद उज्ज्वल निकम ने गुरुवार को संसद भवन में ईश्वर के नाम पर शपथ ग्रहण किया। शपथ लेने के बाद उन्होंने अपने पहले दिन को उत्साहपूर्ण बताते हुए कहा कि वे संविधान के मार्गदर्शन में अपनी जिम्मेदारियों को पूरी लगन और निष्ठा के साथ निभाएंगे।
उज्ज्वल निकम ने संविधान को देश का मार्गदर्शक और पवित्र दस्तावेज बताया, जिसकी पवित्रता बनाए रखना सभी सांसदों का कर्तव्य है। संसद के अन्य सदस्यों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया और उन्हें बधाई दी। निकम ने आश्वासन दिया कि वे अपने कर्तव्यों का निर्वहन पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ करेंगे।
उन्होंने कहा, “आज मेरा पहला दिन था, और मैंने बड़े उत्साह के साथ शपथ ली। यह मेरे लिए गर्व का क्षण है। मैं संविधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराता हूं और देश के लोगों की सेवा के लिए तत्पर हूं। हम संसद में रचनात्मक चर्चाओं में योगदान और जनहित के मुद्दों को प्राथमिकता देंगे। हम संसद में कानून और न्याय से जुड़े मुद्दों पर अपनी विशेषज्ञता का उपयोग करेंगे ताकि देश में विधायी प्रक्रिया को और मजबूत किया जा सके।
इसके साथ ही उज्ज्वल निकम ने 2006 के मुंबई बम विस्फोट मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा 12 आरोपियों को बरी करने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की रोक के बारे में भी अपनी राय रखी। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस मामले में अपील का आधार जाति या धर्म नहीं है।
उज्ज्वल निकम ने कहा, “जब भी कोई हाई कोर्ट कोई फैसला सुनाता है, सरकार को उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का अधिकार है। इसमें कुछ भी असामान्य या चयनात्मक नहीं है। यह कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा है। कानून के सामने सभी समान हैं और न्यायिक प्रक्रिया को निष्पक्षता के साथ आगे बढ़ना चाहिए।"
राज्यसभा सांसद उज्ज्वल निकम का यह बयान उस समय आया है, जब मुंबई बम विस्फोट मामले में सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप चर्चा का विषय बना हुआ है। आपको बता दें, मुंबई 2006 में हुए सीरियल बम ब्लास्ट मामले में सोमवार को हाई कोर्ट ने 12 आरोपियों को बरी कर दिया था। बॉम्बे हाईकोर्ट के इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। इसके साथ ही एक महीने के भीतर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।