क्या उमा भारती ने महाकाल की शरण में जाकर हिंदू राष्ट्र और हिंदू राज्य में फर्क बताया?

सारांश
Key Takeaways
- उमा भारती का महाकालेश्वर मंदिर दौरा धार्मिक और सामाजिक मुद्दों पर विचार करने के लिए महत्वपूर्ण है।
- हिंदू राष्ट्र और हिंदू राज्य के बीच का अंतर समझाना समाज के लिए आवश्यक है।
- शिव साधना और प्रार्थना से आत्मिक शांति की प्राप्ति होती है।
उज्जैन, 14 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। श्रावण मास के पहले सोमवार पर मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की वरिष्ठ नेता उमा भारती उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर पहुंचीं, जहां उन्होंने भगवान महाकाल के दर्शन किए। इस अवसर पर उन्होंने नंदी हॉल में बैठकर शिव साधना की और भक्ति में लीन रहीं।
महाकाल के दर्शन के पश्चात मीडिया से बात करते हुए उमा भारती ने कहा, "मैं हर बार महाकाल से यही प्रार्थना करती हूं कि आपकी ध्वजा की तरह धर्म की ध्वजा भी हमेशा लहराती रहे।" उन्होंने बताया कि जब भी बाबा महाकाल का बुलावा मिलता है, वह दर्शन के लिए आती हैं, और कोशिश करती हैं कि श्रावण मास की शिवरात्रि पर मंदिर अवश्य आएं। इस बार उन्होंने भक्तों की असुविधा को ध्यान में रखते हुए पहले सोमवार को ही दर्शन करना उचित समझा।
प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा, "हमारा मोहन महाकाल का प्रसाद है।" उन्होंने मुख्यमंत्री की संवेदनशीलता और गहराई से समझने की क्षमता की सराहना की। उन्होंने मंदिर में प्रशासनिक व्यवस्थाओं की प्रशंसा की, जो बेहतर समन्वय और नेतृत्व का परिणाम है।
उमा भारती ने बाबा महाकाल से आगामी सिंहस्थ 2028 की सफलता के लिए विशेष प्रार्थना की। उनकी मनोकामना है कि इस बार सिंहस्थ भव्यता और व्यवस्था में एक नया कीर्तिमान स्थापित करे।
हिंदू राष्ट्र की मांग पर बात करते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि यह देश हिंदू राष्ट्र है, लेकिन हिंदू राज्य नहीं। उन्होंने बताया कि हिंदू राज्य का अर्थ केवल हिंदुओं का शासन है, जबकि हिंदू राष्ट्र का तात्पर्य सभी धर्मों और पंथों के लोगों के सुरक्षित और सम्मानित रहने से है।
उमा भारती ने कहा कि बाबा महाकाल के दर्शन उन्हें आत्मिक शांति और ऊर्जा प्रदान करते हैं। उनके पास बाबा से संवाद करने के लिए शब्द नहीं होते, केवल भाव होते हैं।