क्या हर्ष मल्होत्रा ने यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में दीपावली को शामिल करने के फैसले को ऐतिहासिक बताया?
सारांश
Key Takeaways
- यूनेस्को ने दीपावली को अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल किया।
- यह निर्णय भारत की सांस्कृतिक पहचान को वैश्विक मान्यता प्रदान करता है।
- केंद्रीय मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने इसे ऐतिहासिक बताया।
- उत्तर प्रदेश के मंत्री जयवीर सिंह ने इसे गर्व का विषय बताया।
नई दिल्ली/लखनऊ, 10 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। यूनेस्को द्वारा दीपावली को अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल करने के निर्णय ने पूरे देश में उत्साह का संचार किया है। कई केंद्रीय और राज्य स्तरीय नेताओं ने इसे भारत की सांस्कृतिक शक्ति का वैश्विक सम्मान माना है।
केंद्रीय राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में इसे ऐतिहासिक फैसला बताते हुए कहा, “दीपावली हम सभी के लिए अत्यधिक पवित्र त्योहार है, जिसे न केवल भारत में बल्कि विश्व के कई अन्य देशों में भी बड़े उत्साह से मनाया जाता है। विदेशों में निवास कर रहे भारतीय मूल के लोगों के साथ-साथ कई विदेशी सरकारें भी दीपावली पर अपने कार्यालयों में दीये जलाकर इसे सम्मान देती हैं। इस मान्यता का श्रेय यदि किसी को जाता है, तो वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है।”
उन्होंने आगे कहा कि पिछले 11 वर्षों में पीएम मोदी ने 200 से अधिक योजनाओं के माध्यम से देश के 140 करोड़ लोगों तक विकास को पहुंचाया है और भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
मल्होत्रा ने कहा, “जिस अमेरिका ने कभी गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए मोदी को वीजा नहीं दिया था, वही आज भारत के आम नागरिकों के लिए रेड कारपेट जैसी व्यवस्था करता है। यह पीएम मोदी की नीतियों और उनकी प्रतिष्ठा का परिणाम है।”
इसी क्रम में उत्तर प्रदेश के मंत्री जयवीर सिंह ने भी यूनेस्को के निर्णय का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि दीपोत्सव उत्तर भारत और विशेष रूप से उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर है, और अब इसे वैश्विक पहचान मिलना पूरे देश के लिए गौरव का विषय है। जयवीर सिंह ने राष्ट्र प्रेस से कहा कि हम यूनेस्को का धन्यवाद करते हैं और पूरे देश को, खासकर उत्तर प्रदेश को, बधाई देते हैं कि हमारे दीपोत्सव महापर्व को वैश्विक सम्मान मिला है। यह पीएम मोदी और सीएम योगी के अथक प्रयासों का परिणाम है।
उन्होंने कहा कि इस मान्यता से न केवल भारत की सांस्कृतिक पहचान मजबूत होगी, बल्कि दुनिया में भारतीय परंपराओं के प्रति रुचि भी बढ़ेगी। उन्होंने इसे उत्तर प्रदेश के लिए विशेष उपलब्धि बताते हुए कहा कि अयोध्या के दीपोत्सव को अब विश्व स्तर पर एक ऐसी पहचान मिल गई है, जिसकी कल्पना वर्षों पहले केवल एक सपना था।