क्या यूपी में ईडी अधिकारी बनकर कारोबारी से 1.18 करोड़ रुपए की ठगी की गई?

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क्या यूपी में ईडी अधिकारी बनकर कारोबारी से 1.18 करोड़ रुपए की ठगी की गई?

सारांश

लखनऊ में एक कारोबारी के साथ साइबर ठगों ने धोखाधड़ी की, जब उन्होंने खुद को ईडी और पुलिस अधिकारी बताकर 1.18 करोड़ रुपए ठग लिए। लखनऊ साइबर क्राइम पुलिस ने गिरोह के एक सदस्य को गिरफ्तार किया है। जानें इस धोखाधड़ी की पूरी कहानी।

Key Takeaways

  • साइबर ठगी के प्रति जागरूकता जरूरी है।
  • धोखाधड़ी के मामलों में तुरंत कार्रवाई करें।
  • अपने व्यक्तिगत जानकारी को सुरक्षित रखें।
  • फर्जी कॉल्स से सतर्क रहें।
  • साइबर क्राइम पुलिस से संपर्क करें।

लखनऊ, 22 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। साइबर ठगों की एक नई रणनीति ने एक कारोबारी को अपना शिकार बना लिया। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और पुलिस अधिकारी बनकर ठगों ने पीड़ित को 'डिजिटल अरेस्ट' में रखा और 1.18 करोड़ रुपए की ठगी कर ली। लखनऊ की साइबर क्राइम पुलिस ने इस मामले का पर्दाफाश करते हुए गिरोह के एक सदस्य को गिरफ्तार कर लिया है।

आरोपी मिठाई के व्यवसाय से जुड़ा हुआ था, जिसने कमीशन के लालच में साइबर अपराधियों का काला कारोबार चलाया। पूरी घटना 22 सितंबर को शुरू हुई, जब कारोबारी होरक भट्टाचार्य के मोबाइल पर एक अज्ञात नंबर से कॉल आई। कॉलर ने खुद को पुलिस अधिकारी विजय खन्ना बताया और कहा कि पीड़ित के नाम से दिल्ली के केनरा बैंक में फर्जी खाता खोला गया है, जिसमें ठगी का पैसा जमा हो रहा है। कुछ ही मिनटों बाद दूसरा कॉल आया, जिसमें कॉलर ने ईडी अधिकारी राहुल गुप्ता बनकर खुद को पेश किया।

उन्होंने 'जांच गोपनीय' बताते हुए पीड़ित को किसी से बात न करने की चेतावनी दी और वीडियो कॉल पर 'डिजिटल अरेस्ट' कर लिया। लगातार व्हाट्सऐप चैट और कॉल्स के जरिए दबाव बनाते रहे, जिससे डर के मारे पीड़ित ने अलग-अलग खातों में कुल 1 करोड़ 18 लाख 55 हजार रुपए ट्रांसफर कर दिए। बाद में जब ठगों ने और पैसे मांगे, तो पीड़ित को शक हुआ और उन्होंने साइबर क्राइम थाने में शिकायत दर्ज कराई।

ठगों ने पीड़ित को डराने के लिए फर्जी गिरफ्तारी वारंट, कोर्ट के सीजर आदेश और वीडियो कॉल पर फर्जी पुलिस स्टेशन का सेटअप दिखाया। इससे भट्टाचार्य पूरी तरह घबरा गए और बिना जांच के अपनी जमा पूंजी गंवा बैठे। साइबर क्राइम थाने ने तुरंत विशेष टीम गठित की, जिसके प्रभारी निरीक्षक बृजेश कुमार यादव ने तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर आरोपी को दबोच लिया। गिरफ्तार आरोपी की पहचान सैफलपुर मलिहाबाद निवासी कमलेश कुमार (उम्र 28 वर्ष) के रूप में हुई है।

पूछताछ में कमलेश ने कबूल किया कि वह पहले घर पर मिठाई बनाकर स्थानीय दुकानों पर सप्लाई करता था। अगस्त 2025 में सीतापुर निवासी अनुराग से उसकी मुलाकात हुई, जिसने लेन-देन के 2 प्रतिशत कमीशन का लालच दिया। लालच में आकर कमलेश ने गोमतीनगर और पत्रकारपुरम स्थित इंडसइंड बैंक में अपने नाम से खाते खोले और सिम व दस्तावेज अनुराग को सौंप दिए। अनुराग विदेशी फ्रॉडस्टरों से जुड़ा था और ट्रांजेक्शन पर 5 प्रतिशत कमीशन क्रिप्टोकरेंसी (यूएसडीटी) में लेता था। कमलेश के खाते से करोड़ों रुपये की ठगी हुई, और एनसीसीआरपी पोर्टल पर जांच में पूरे देश से 22 शिकायतें जुड़ी पाई गईं।

पुलिस ने आरोपी के खाते को फ्रीज कर मामले में आगे की कार्रवाई कर रही है।

Point of View

NationPress
22/10/2025

Frequently Asked Questions

साइबर ठगी से बचने के लिए क्या करें?
साइबर ठगी से बचने के लिए हमेशा अपने व्यक्तिगत जानकारी को सुरक्षित रखें और अनजान कॉल या संदेश पर ध्यान न दें।
अगर ठगी का शिकार हो जाएं तो क्या करें?
अगर आप ठगी का शिकार हो जाएं, तो तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज कराएं और अपने बैंक को सूचित करें।
साइबर क्राइम की शिकायत कैसे करें?
आप साइबर क्राइम की शिकायत ऑनलाइन पोर्टल पर या स्थानीय पुलिस थाने में जाकर कर सकते हैं।