क्या यूपी में जल संरक्षण की दिशा में बड़ी उपलब्धि हुई है? 34 हजार सरकारी-गैर सरकारी भवनों में लगे रूफ टॉप रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

सारांश
Key Takeaways
- 34,000 भवनों में रूफ टॉप रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित किया गया है।
- एक लाख से अधिक भवनों को इस प्रणाली से जोड़ा जाएगा।
- जल संकट से निपटने के लिए यह कदम महत्वपूर्ण है।
- 16 जिलों ने 100% जल संचयन लक्ष्य हासिल किया है।
- यह पहल भविष्य के लिए सतत जल प्रबंधन की दिशा में है।
लखनऊ, 24 जून (राष्ट्र प्रेस)। योगी सरकार वर्षा जल संचयन के लिए एक महत्वाकांक्षी अभियान चला रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश के लगभग 34,000 सरकारी और अर्ध सरकारी भवनों में रूफ टॉप रेन वाटर हार्वेस्टिंग (आरटीआरडब्ल्यूएच) सिस्टम को स्थापित किया गया है। भविष्य में एक लाख से अधिक भवनों को भी इस खास सुविधा से लैस किया जाएगा।
यह कदम भूजल स्तर को पुनः चार्ज करने और जल संकट से निपटने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। योगी सरकार का लक्ष्य है कि कुल 2 लाख 35 हजार सरकारी एवं अर्ध सरकारी भवनों को वर्षा जल संचयन प्रणाली से सुसज्जित किया जाए।
राज्य सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य के अनुसार, 16 जिलों ने 100 प्रतिशत वर्षा जल संचयन प्रणाली स्थापना का कार्य पूरा कर लिया है। इनमें अयोध्या, अम्बेडकर नगर, बाराबंकी, सुल्तानपुर, अमेठी, गोंडा, बलरामपुर, बहराइच, श्रावस्ती, बस्ती, संत कबीर नगर, सिद्धार्थनगर, आजमगढ़, बलिया, झांसी और पीलीभीत शामिल हैं। योगी सरकार चाहती है कि हर भवन वर्षा जल संचयन प्रणाली के माध्यम से प्राकृतिक जल स्रोतों को संरक्षित करने में योगदान दे। इस प्रयास से न केवल प्रदेश के जल स्तर में सुधार होगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को जल संकट से भी बचाया जा सकेगा।
प्रदेश में वर्षा जल के संचयन के लिए योगी सरकार के जल शक्ति विभाग द्वारा जलशक्ति अभियान 'कैच द रेन 2025' का संचालन किया जा रहा है। इस योजना के तहत विभिन्न सरकारी और अर्ध सरकारी भवनों में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित किया जाएगा। यह कार्य योजना जल्द ही एक लाख से अधिक भवनों में लागू कर दी जाएगी।
इसके अलावा, 16 जिलों ने जल संचयन के क्षेत्र में 100 फीसदी लक्ष्य हासिल कर लिया है। जल संरक्षण की दिशा में योगी सरकार की यह बड़ी उपलब्धि है। सरकारी अर्ध सरकारी भवनों को रूफ टॉप रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से लैस करने का यह अभियान न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक सराहनीय कदम है, बल्कि जल संकट से जूझ रहे क्षेत्रों में नई उम्मीद भी जगा रहा है।