क्या यूपी में महिला अपराधों में गिरावट से सुरक्षा में सुधार हुआ है?
सारांश
Key Takeaways
- महिला अपराधों में 34 प्रतिशत की कमी आई है।
- मिशन शक्ति केंद्र अब सपोर्ट सिस्टम के रूप में कार्य कर रहे हैं।
- दहेज हत्या में 80 प्रतिशत कमी बलरामपुर जिले में है।
- महिलाओं को कानूनी और मानसिक सहयोग प्रदान किया जा रहा है।
- समाज में महिलाओं के प्रति सम्मान बढ़ रहा है।
लखनऊ, 20 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए आरंभ किए गए मिशन शक्ति अभियान के प्रभावी परिणाम अब स्पष्ट होते जा रहे हैं। राज्य के सभी थानों में मिशन शक्ति केंद्रों की स्थापना के बाद से महिला अपराधों में उल्लेखनीय कमी देखी गई है। यह जानकारी पुलिस महानिदेशक राजीव कृष्ण की समीक्षा बैठक में प्रस्तुत की गई।
डीजीपी मुख्यालय द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, मिशन शक्ति केंद्र के गठन के बाद दुष्कर्म के मामलों में लगभग 34 प्रतिशत की कमी आई है। इसके साथ ही महिलाओं और बच्चियों के अपहरण के मामलों में 17 प्रतिशत तक गिरावट देखी गई है। दहेज हत्या के मामलों में भी लगभग 13 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि घरेलू हिंसा के मामलों में 10 प्रतिशत की घटावट हुई है।
आंकड़ों के अनुसार, दहेज हत्या के मामलों में सर्वाधिक 80 प्रतिशत की कमी बलरामपुर जिले में दर्ज की गई है। वहीं दुष्कर्म के मामलों में बाराबंकी जिले में करीब 77 प्रतिशत की बड़ी गिरावट देखी गई है। महिलाओं और बच्चियों के अपहरण के मामलों में अमेठी जिले में 42 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है, जबकि घरेलू हिंसा के मामलों में श्रावस्ती जिले में करीब 36 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है।
ये आंकड़े मिशन शक्ति केंद्र के स्थापित होने से पहले और बाद के तीन-तीन महीनों की तुलना पर आधारित हैं। समीक्षा के दौरान 16 जून से 15 सितंबर 2025 (केंद्र स्थापना से पहले) और 16 सितंबर से 15 दिसंबर 2025 (केंद्र स्थापना के बाद) के महिला संबंधी अपराधों का विश्लेषण किया गया।
डीजीपी राजीव कृष्ण ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश के सभी परिक्षेत्रीय पुलिस महानिरीक्षक, उप महानिरीक्षक, पुलिस आयुक्त, संयुक्त व अपर पुलिस आयुक्त, और सभी जिलों के मिशन शक्ति नोडल अधिकारियों के साथ बैठक कर फीडबैक लिया।
उन्होंने मिशन शक्ति केंद्रों की सफलता के लिए पुलिसकर्मियों और अधिकारियों की सराहना की और आगे के काम के लिए कई महत्वपूर्ण निर्देश भी दिए।
डीजीपी ने बताया कि मिशन शक्ति केंद्र अब केवल शिकायत दर्ज करने का स्थान नहीं रह गए हैं, बल्कि यह महिलाओं के लिए एक सिंगल प्वाइंट ऑफ सपोर्ट के रूप में कार्य कर रहे हैं। यहां महिलाओं को शिकायत की शुरुआत से लेकर न्यायिक प्रक्रिया के पूरा होने तक मानसिक, सामाजिक, कानूनी और संस्थागत सहयोग प्रदान किया जा रहा है।
बैठक में यह भी सामने आया कि मिशन शक्ति केंद्रों की वजह से कई मामलों में विवादों का समाधान आपसी बातचीत और काउंसलिंग द्वारा किया जा रहा है, जिससे मामलों की संख्या में कमी आई है। विभिन्न जिलों में महिलाओं और बालिकाओं को सशक्त बनाने के लिए नए-नए प्रयोग भी किए जा रहे हैं, जैसे कि गोपनीय शिकायत पेटी, महिला वॉलंटियर की नियुक्ति, स्कूल स्तर पर शिकायत व्यवस्था, और सरकारी योजनाओं से जोड़ने की पहल।
डीजीपी राजीव कृष्ण ने कहा कि मिशन शक्ति अभियान समग्र सरकारी दृष्टिकोण पर आधारित है, जिसमें पुलिस समन्वयक और लीड एजेंसी की भूमिका निभा रही है।
उन्होंने कहा कि सही क्रियान्वयन के साथ मिशन शक्ति केंद्र प्रदेश की जमीनी पुलिसिंग में लंबे समय तक सकारात्मक बदलाव लाने वाला गेम-चेंजर सिद्ध हो सकता है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा, सम्मान और सशक्तीकरण के लिए मिशन शक्ति केंद्रों को और मजबूत किया जाएगा ताकि हर जरूरतमंद महिला तक समय पर मदद पहुंच सके।