क्या हमारा राष्ट्र अखंड भारत की मजबूत नींव रखने के लिए लौह पुरुष का सदैव ऋणी रहेगा?
सारांश
Key Takeaways
- युवाओं के लिए एकता और अनुशासन आवश्यक हैं।
- सरदार पटेल की विरासत को जीवित रखना जरूरी है।
- भारत की आर्थिक और सैन्य ताकत में वृद्धि हुई है।
- नशे से दूर रहकर हम स्वस्थ समाज का निर्माण कर सकते हैं।
- डिजिटल साक्षरता में योगदान देना महत्वपूर्ण है।
एकता नगर (गुजरात), 6 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत के उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने शनिवार को गुजरात के एकता नगर में स्थित स्टैच्यू ऑफ यूनिटी में यूनिटी मार्च-राष्ट्रीय पदयात्रा के समापन समारोह में भाग लिया।
उपराष्ट्रपति ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि इस ऐतिहासिक राष्ट्रीय पदयात्रा के समापन में भाग लेना उनके लिए अत्यंत सम्मान की बात है। उन्होंने कहा कि पदभार ग्रहण करने के बाद महात्मा गांधी और सरदार वल्लभभाई पटेल की पावन धरती की यह उनकी पहली आधिकारिक यात्रा है।
उन्होंने 26 नवंबर, संविधान दिवस से शुरू होने वाली पदयात्रा के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि 1,300 से अधिक पदयात्राओं में 14 लाख से अधिक युवाओं की भागीदारी ने सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा जलाई गई एकता की अमिट ज्योति को प्रदर्शित किया।
उन्होंने 560 से अधिक रियासतों के एकीकरण में सरदार पटेल की ऐतिहासिक भूमिका को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि हमारा राष्ट्र अखंड भारत की मजबूत नींव रखने और उसे एकीकृत करने के लिए लौह पुरुष का सदैव ऋणी रहेगा।
उपराष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि सरदार पटेल का एक मजबूत और आत्मनिर्भर भारत का सपना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में साकार हो रहा है।
उन्होंने पिछले दशक में आर्थिक, सामाजिक, सैन्य और रणनीतिक रूप से भारत की तीव्र प्रगति के साथ-साथ दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में इसकी निरंतर यात्रा को रेखांकित किया।
युवाओं को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि वे भारत के भविष्य की शक्ति हैं और एकता, अनुशासन और राष्ट्रीय उद्देश्य से निर्देशित होकर, वे राष्ट्र को नवाचार और विकास में एक वैश्विक नेता के रूप में बदल सकते हैं।
उपराष्ट्रपति ने युवाओं से 'नशे को ना' कहने का आह्वान किया और उन्हें सोशल मीडिया का जिम्मेदारी से उपयोग करने और डिजिटल साक्षरता और साइबर सुरक्षा में योगदान देने की सलाह दी।
राष्ट्रीय सुरक्षा पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि भारत की रक्षा क्षमताएं कई गुना बढ़ गई हैं। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को एक निर्णायक क्षण बताया जिसने अपनी संप्रभुता की रक्षा और सीमा पार आतंकवाद का मुकाबला करने के राष्ट्र के संकल्प को प्रदर्शित किया।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि जैसे-जैसे राष्ट्र इस राष्ट्रव्यापी पदयात्रा का समापन दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा पर कर रहा है, यह न केवल सरदार पटेल की विरासत को बल्कि नए भारत की भावना को भी श्रद्धांजलि देता है। उन्होंने आगे कहा कि इस अमृत काल में, जब राष्ट्र विकसित भारत 2047 की ओर दृढ़ता से आगे बढ़ रहा है, सरदार पटेल के आदर्श इसके मार्गदर्शक बल के रूप में काम करते रहेंगे।
इस कार्यक्रम में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, केंद्रीय पंचायती राज मंत्री राजीव रंजन सिंह, केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया, केंद्रीय युवा मामले एवं खेल राज्य मंत्री रक्षा खडसे, केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के राज्य मंत्री तोखन साहू और अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।