क्या 'पूरो' हमेशा मेरे दिल में रहेगी? 'पिंजर' के 22 साल पूरे होने पर उर्मिला मातोंडकर ने याद किए पुराने दिन

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क्या 'पूरो' हमेशा मेरे दिल में रहेगी? 'पिंजर' के 22 साल पूरे होने पर उर्मिला मातोंडकर ने याद किए पुराने दिन

सारांश

उर्मिला मातोंडकर ने अपनी यादों को ताजा करते हुए 'पिंजर' फिल्म के 22 साल पूरे होने पर दिल छू लेने वाली बातें साझा की हैं। इस फिल्म की कहानी और उसकी संवेदनाओं ने दर्शकों को हमेशा प्रभावित किया है। आइए जानते हैं इस फिल्म की खासियतें और उर्मिला के विचार।

Key Takeaways

  • पिंजर ने 22 साल पूरे किए हैं।
  • उर्मिला मातोंडकर का पूरो का किरदार आज भी याद किया जाता है।
  • फिल्म का अमृता प्रीतम के उपन्यास पर आधारित होना इसे खास बनाता है।
  • फिल्म ने दो राष्ट्रीय पुरस्कार जीते हैं।
  • यह फिल्म अमेजन प्राइम पर उपलब्ध है।

नई दिल्ली, 26 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। हिंदी सिनेमा के साथ-साथ तेलुगू, तमिल और मराठी फिल्मों में भी अपने अभिनय से दर्शकों का दिल जीतने वाली अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर को कौन नहीं जानता। उनकी और मनोज बाजपेयी की वर्ष 2003 में प्रदर्शित फिल्म 'पिंजर' ने आज 22 वर्ष पूरे कर लिए हैं।

अभिनेत्री ने रविवार को इंस्टाग्राम पर फिल्म से जुड़ी पुरानी यादों और तस्वीरें साझा की हैं। फिल्म के पोस्टर में उर्मिला, जो कि 'पूरो' का किरदार निभा रही हैं, मनोज बाजपेयी के साथ नजर आ रही हैं। उन्होंने कैप्शन में लिखा, "पिंजर ने 22 साल पूरे कर लिए हैं और 'पूरो' हमेशा मेरे दिल में रहेगी।"

वहीं मनोज बाजपेयी ने भी फिल्म की पुरानी यादों को ताजा किया और लिखा, "दो दशकों और दो वर्षों पहले, 'पिंजर' रिलीज हुई थी और इस फिल्म का मेरे सफर में एक विशेष स्थान है। यह फिल्म किसी भी मुख्यधारा के पुरस्कार के लिए योग्य नहीं थी, लेकिन इसने दो राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीते, जिनमें मेरा दूसरा पुरस्कार भी शामिल है।" उन्होंने फिल्म की पूरी टीम का दिल से धन्यवाद किया।

बता दें कि उर्मिला मातोंडकर और मनोज बाजपेयी द्वारा अभिनीत यह फिल्म 2003 में रिलीज हुई थी। यह फिल्म अमृता प्रीतम के उपन्यास पिंजर पर आधारित है। यह फिल्म 1947 में भारत-पाकिस्तान के विभाजन पर केंद्रित है, जिसमें महिलाओं के संघर्ष, विभाजन के समय मानवता और क्रूरता को पर्दे पर दर्शाया गया है।

फिल्म में उर्मिला मातोंडकर ने 'पूरो' नाम की एक हिंदू लड़की का किरदार निभाया है, जबकि मनोज बाजपेयी ने राशिद नाम के एक मुस्लिम व्यक्ति की भूमिका निभाई। फिल्म में राशिद और पूरो के परिवार के बीच पारिवारिक दुश्मनी होती है और दोनों के बीच संपत्ति का विवाद चलता है। बदला लेने के लिए पूरो को निशाना बनाया जाता है। विभाजन के समय राशिद पूरो का अपहरण कर लेता है, लेकिन उसके मन में पूरो के प्रति प्रेम है और वह उसे भागने में मदद करता है।

फिल्म की कहानी अत्यंत भावुक है और इसके रिलीज के समय इसे बहुत सराहा गया था। फिल्म को सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म श्रेणी में नेशनल अवॉर्ड भी प्राप्त हुआ था। यह फिल्म अमेजन प्राइम पर भी उपलब्ध है। हालांकि यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं रही, लेकिन इसकी कहानी को काफी प्रशंसा मिली थी।

Point of View

हमें यह समझना चाहिए कि 'पिंजर' जैसी फिल्में सामाजिक मुद्दों को छूने का काम करती हैं। यह फिल्म न केवल मनोरंजन का माध्यम है, बल्कि विभाजन के समय की संवेदनाओं को भी उजागर करती है। ऐसे संवेदनशील विषयों पर चर्चा करना आवश्यक है, ताकि हम समाज में जागरूकता ला सकें।
NationPress
26/10/2025

Frequently Asked Questions

फिल्म 'पिंजर' किस पर आधारित है?
फिल्म 'पिंजर' अमृता प्रीतम के उपन्यास पर आधारित है, जो 1947 के भारत-पाकिस्तान विभाजन की पृष्ठभूमि में है।
उर्मिला मातोंडकर ने किस किरदार को निभाया है?
उर्मिला मातोंडकर ने फिल्म में 'पूरो' नाम की हिंदू लड़की का किरदार निभाया है।
फिल्म को कितने राष्ट्रीय पुरस्कार मिले?
इस फिल्म ने दो राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीते हैं।
क्या 'पिंजर' फिल्म अमेजन प्राइम पर उपलब्ध है?
'पिंजर' फिल्म अमेजन प्राइम पर उपलब्ध है और आप इसे वहां देख सकते हैं।
फिल्म 'पिंजर' कब रिलीज हुई थी?
फिल्म 'पिंजर' 2003 में रिलीज हुई थी।