क्या योजनाओं के बावजूद उत्तर कर्नाटक में खुले में शौच और बाल विवाह जारी हैं?

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क्या योजनाओं के बावजूद उत्तर कर्नाटक में खुले में शौच और बाल विवाह जारी हैं?

सारांश

उत्तर कर्नाटक में सामाजिक समस्याओं का समाधान क्यों नहीं हो पा रहा है? मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने योजनाओं के बावजूद खुले में शौच और बाल विवाह के मुद्दों पर चिंता जताई है। जानिए क्या हैं इसके कारण और सरकार की योजनाएं क्या हैं।

Key Takeaways

  • सरकार ने खुले में शौच के लिए योजनाएं बनाई हैं, फिर भी समस्या बनी हुई है।
  • बाल विवाह के खिलाफ सख्त कानून हैं, लेकिन इसका पालन नहीं हो रहा।
  • कर्नाटक में प्रति व्यक्ति आय में विविधता है।
  • साक्षरता दर में वृद्धि हुई है, फिर भी जाति व्यवस्था कायम है।
  • सरकार को कमजोर जिलों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।

बेलगावी, 19 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शुक्रवार को कहा कि सरकार द्वारा लागू की गई कई योजनाओं और सुधारों के बावजूद उत्तर कर्नाटक क्षेत्र में खुले में शौच, बाल विवाह और बाल गर्भधारण जैसी सामाजिक समस्याएं अब भी बनी हुई हैं।

विधानसभा में उत्तर कर्नाटक से जुड़े मुद्दों पर सत्तारूढ़ और विपक्षी नेताओं द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि जुवर्गी विधानसभा क्षेत्र के विधायक ने महिलाओं को खुले में शौच के लिए बाहर जाने से रोकने हेतु बाउंड्री वॉल निर्माण की मांग की थी।

उन्होंने कहा, “मैंने उनसे पूछा कि क्या वहां शौचालय बने हुए हैं। उन्होंने उत्तर दिया कि शौचालय तो हैं, लेकिन लोग उनका उपयोग नहीं करते। अब इस पर क्या कहा जाए?”

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने शौचालय निर्माण के लिए धन आवंटित किया है और जल जीवन मिशन के तहत नल कनेक्शन देकर पानी की आपूर्ति भी सुनिश्चित की गई है।

उन्होंने कहा, “इसके बाद भी लोग शौचालयों का उपयोग नहीं कर रहे हैं। इस समस्या का समाधान कैसे किया जाए? ये आसान मुद्दे नहीं हैं और हमें इनके लिए ठोस समाधान खोजने होंगे।”

बाल विवाह पर चिंता व्यक्त करते हुए सिद्धारमैया ने कहा कि इस पर रोक लगाने के लिए सख्त कानून और दंड के प्रावधान मौजूद हैं, फिर भी प्रशासनिक तंत्र को चकमा देकर ऐसे विवाह कराए जा रहे हैं।

उन्होंने आगे कहा, “इसका परिणाम बाल गर्भधारण की बढ़ती संख्या है। किशोर माताओं से जन्म लेने वाले बच्चों में कुपोषण जैसी गंभीर समस्याएं देखी जा रही हैं। लोग इन सब बातों से अवगत होने के बावजूद ऐसी प्रथाएं जारी रखे हुए हैं। इसलिए मैं हर बार उपायुक्तों और सीईओ के साथ बैठकों में इस मुद्दे को उठाता हूं और सख्ती से रोक लगाने के निर्देश देता हूं।”

मुख्यमंत्री ने कहा कि कट्टर जाति-आधारित समाज में ठहराव को दूर करने के लिए आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण बेहद जरूरी है।

उन्होंने कहा, “स्वतंत्रता से पहले साक्षरता दर 10-12 प्रतिशत थी, जो आज बढ़कर 76 प्रतिशत हो गई है, लेकिन जाति व्यवस्था अब भी कायम है। यहां तक कि डॉक्टर भी भाग्य और कर्म सिद्धांत में विश्वास करते हैं। जाति व्यवस्था के कारण समाज में दासता की मानसिकता जड़ जमा चुकी है। इसी को दूर करने के लिए गारंटी योजनाएं लागू की गई हैं।”

सिद्धारमैया ने यह भी कहा कि कल्याण कर्नाटक के छह जिलों में दूध उत्पादन कम होना वहां की कम प्रति व्यक्ति आय का एक बड़ा कारण है।

उन्होंने कहा, “कलबुर्गी जिला प्रति व्यक्ति आय के मामले में सबसे पिछड़ा है। इतना धन आवंटित करने के बावजूद विकास क्यों नहीं हो पाया?”

मुख्यमंत्री ने दावा किया कि पूर्व यूपीए सरकार ने निर्मल भारत अभियान को प्रभावी ढंग से लागू करने की मंशा रखी थी।

उन्होंने कहा, “2013-14 के बजट में इस योजना के लिए 4,260 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। 2013 तक ग्रामीण क्षेत्रों के लगभग 38 से 40 प्रतिशत घरों में शौचालय बन चुके थे। बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्मल भारत अभियान का नाम बदलकर स्वच्छ भारत मिशन कर दिया।”

उन्होंने बताया कि रिपोर्टों के अनुसार 2019-20 तक लगभग 90 प्रतिशत घरों में शौचालयों का निर्माण हो चुका था।

प्रति व्यक्ति आय के आंकड़ों का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उपलब्ध नवीनतम समग्र आंकड़े वर्ष 2023-24 के हैं।

उन्होंने कहा, “राज्य की औसत प्रति व्यक्ति आय वर्तमान कीमतों पर 3,39,813 रुपये है। छह जिलों बेंगलुरु अर्बन, मंगलुरु, उडुपी, चिक्कमगलूरु, बेंगलुरु ग्रामीण और शिवमोग्गा में यह औसत से अधिक, यानी 3.4 लाख रुपये से ज्यादा है।”

मुख्यमंत्री ने बताया कि 10 जिलों में प्रति व्यक्ति आय 2.5 लाख से 3.4 लाख रुपये के बीच है। इनमें मंड्या, तुमकुरु, कोडगु, हासन, बल्लारी, रामनगर, कारवार, धारवाड़, चामराजनगर और बागलकोट शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि चार जिलों मैसूरु, चिक्कबल्लापुर, कोलार और दावणगेरे की प्रति व्यक्ति आय 2 लाख से 2.5 लाख रुपये के बीच है, जबकि 11 जिलों में यह 2 लाख रुपये से कम है।

इन जिलों में चित्रदुर्गा, गदग, हावेरी, रायचूर, विजयनगर, विजयपुरा, बीदर, बेलगावी, कोप्पल, यादगीर और कलबुर्गी शामिल हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार को चौथे समूह में आने वाले जिलों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है।

Point of View

जिससे पता चलता है कि योजनाएं कितनी भी प्रभावी क्यों न हों, जमीनी स्तर पर बदलाव लाने के लिए जन जागरूकता और सशक्तिकरण की आवश्यकता है।
NationPress
19/12/2025

Frequently Asked Questions

उत्तर कर्नाटक में खुले में शौच की समस्या क्यों बनी हुई है?
सरकार ने शौचालय निर्माण के लिए धन आवंटित किया है, लेकिन लोग उनका उपयोग नहीं कर रहे हैं।
बाल विवाह पर रोक लगाने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
बाल विवाह पर रोक लगाने के लिए सख्त कानून और दंड के प्रावधान मौजूद हैं, लेकिन प्रशासनिक तंत्र को चकमा देकर विवाह कराए जा रहे हैं।
कर्नाटक की प्रति व्यक्ति आय कितनी है?
राज्य की औसत प्रति व्यक्ति आय वर्तमान कीमतों पर 3,39,813 रुपये है।
सिद्धारमैया के अनुसार क्या समस्या का समाधान आसान है?
मुख्यमंत्री ने कहा कि ये समस्याएं आसान नहीं हैं और इसके लिए ठोस समाधान खोजने की जरूरत है।
कर्नाटक में दूध उत्पादन कम होने का क्या कारण है?
कल्याण कर्नाटक के छह जिलों में दूध उत्पादन कम होना वहां की कम प्रति व्यक्ति आय का एक बड़ा कारण है।
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