क्या उत्तर प्रदेश में कोडीन युक्त कफ सिरप के मामले में ईडी ने ईसीआईआर दर्ज की?
सारांश
Key Takeaways
- कोडीन युक्त कफ सिरप की अवैध तस्करी की बढ़ती घटना।
- ईडी द्वारा दर्ज की गई 30 से अधिक एफआईआर।
- मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी अभी बाकी है।
- भारी मात्रा में आर्थिक लेनदेन का खुलासा।
- विशेष जांच दल का गठन।
लखनऊ, १२ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश में कोडीन युक्त कफ सिरप की अवैध तस्करी को रोकने के लिए लगातार कार्रवाई चल रही है। पिछले दो महीनों में लखनऊ, वाराणसी, सोनभद्र, सहारनपुर और गाजियाबाद जैसे कई जिलों में दर्ज ३० से अधिक एफआईआर के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी एक मामला दर्ज किया है। ईडी ने इन सभी एफआईआर को मिलाकर एक बड़ी आर्थिक अपराध शिकायत (ईसीआईआर) दर्ज की है।
जांच में यह सामने आया है कि यह गिरोह कोडीन वाली कफ सिरप की बोतलों को अवैध तरीके से स्टोर करता था, एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाता था और बड़े पैमाने पर बेचता था। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस सिरप को अवैध रूप से देश से बाहर भी भेजा जा रहा था, खासकर बांग्लादेश और नेपाल की ओर। पूरे मामले में अब तक १००० करोड़ रुपये से अधिक के लेनदेन का पता चला है।
इस रैकेट का मुख्य आरोपी शुभम जायसवाल अभी फरार है। पुलिस को संदेह है कि वह फिलहाल दुबई में छिपा हुआ है। शुभम के पिता भोला प्रसाद जायसवाल को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। उत्तर प्रदेश पुलिस और स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने अब तक इस मामले में कुल ३२ लोगों को पकड़ा है, जिनमें कई बड़े सप्लायर, स्टॉकिस्ट और तस्कर शामिल हैं।
यूपी सरकार ने मामले की गहराई से जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है। इस एसआईटी का नेतृत्व एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी कर रहे हैं और यह टीम सभी एफआईआर, जब्त दवाओं, बैंक खातों और विदेशी लेनदेन की पूरी जांच कर रही है।
जांच अधिकारियों का कहना है कि कोडीन वाले कफ सिरप का नशे के रूप में तेजी से उपयोग हो रहा था, इसलिए इसका अवैध कारोबार इतना बड़ा हो गया। अब ईडी की एंट्री के बाद आरोपियों की विदेशी संपत्ति और मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से भी जांच की जाएगी।