क्या भारत में रोजगार बढ़ाने के लिए कौशल प्रशिक्षण और छोटे उद्योग जरूरी हैं? : एनसीएईआर
सारांश
Key Takeaways
- कौशल प्रशिक्षण रोजगार वृद्धि के लिए आवश्यक है।
- छोटे उद्योगों की क्षमता को बढ़ाना महत्वपूर्ण है।
- 2030 तक 93 लाख नई नौकरियां उत्पन्न की जा सकती हैं।
- नई तकनीक और एआई से कामगारों को नए कौशल सिखाने की आवश्यकता है।
- श्रम-प्रधान उद्योगों में रोजगार का बड़ा अवसर है।
नई दिल्ली, 12 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) की एक नई रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में अधिक रोजगार सृजन के लिए दो प्रमुख बातें आवश्यक हैं: लोगों को अच्छे कौशल प्रदान करना और छोटे उद्योगों की क्षमता को बढ़ाना।
यह रिपोर्ट प्रोफेसर फरजाना अफरीदी और उनकी टीम द्वारा तैयार की गई है। इसमें कहा गया है कि भारत को अपने कामकाजी लोगों की संख्या और उनकी गुणवत्ता दोनों में वृद्धि करनी चाहिए।
रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में रोजगार का मुख्य स्रोत स्व-रोजगार में वृद्धि है, जबकि कुशल कामगारों की संख्या बढ़ने में धीमी गति से आगे बढ़ रही है। अगर भारत कपड़ा, जूते, खाद्य प्रसंस्करण जैसे श्रम-प्रधान उद्योगों और सेवा क्षेत्रों में रोजगार सृजन करता है, तो देश की जीडीपी लगभग 8 प्रतिशत की स्थिर गति से बढ़ सकती है, जो 'विकसित भारत' के लक्ष्य के लिए महत्वपूर्ण है।
एनसीएईआर के उपाध्यक्ष मनीष सभरवाल ने कहा कि भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में अग्रसर है। यद्यपि इसकी प्रति व्यक्ति आय अभी 128वें स्थान पर है, यह भारत के लिए रोजगार बढ़ाने का एक बड़ा अवसर है।
प्रोफेसर अफरीदी ने बताया कि भारत में लोग अक्सर खुद का काम इसलिए करते हैं क्योंकि उनके पास सीमित विकल्प होते हैं। छोटे किसान कम साधनों में काम करते हैं, ठीक उसी तरह छोटे उद्योग भी कम पूंजी, तकनीक और उत्पादकता के साथ कार्यरत हैं। इसलिए, भारत को छोटे उद्योगों की क्षमता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, क्योंकि भविष्य में रोजगार का सबसे बड़ा स्रोत यही होंगे।
रिपोर्ट में बताया गया है कि नई तकनीक और एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के आगमन से भारत के कामगारों को नए कौशल सिखाने की आवश्यकता और भी बढ़ गई है। यदि भारत में कुशल कामगारों की संख्या 12 प्रतिशत बढ़ाई जाती है, तो 2030 तक रोजगार में 13 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हो सकती है।
रिपोर्ट के अनुसार, यदि कुशल कामगारों की संख्या 9 प्रतिशत बढ़ती है, तो 2030 तक लगभग 93 लाख नई नौकरियां उत्पन्न हो सकती हैं। इसके अलावा, कपड़ा, जूते और खाद्य प्रसंस्करण जैसे उद्योगों को बढ़ावा देने और पर्यटन, शिक्षा तथा स्वास्थ्य जैसी सेवाओं को मजबूत करने से बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर उत्पन्न हो सकते हैं।
-- राष्ट्र प्रेस
दुर्गेश बहादुर/एबीएस