क्या उत्तर प्रदेश को वैश्विक फूड बास्केट बनाना संभव है? : सीएम योगी

सारांश
Key Takeaways
- उत्तर प्रदेश का वैश्विक फूड बास्केट बनने का संकल्प।
- कृषि क्षेत्र में तकनीकी सहायता से उत्पादन में वृद्धि।
- ईरी और सीआईपी के सहयोग से सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित होंगे।
- काला नमक चावल का वैश्विक प्रचार।
- लखनऊ में सीड पार्क की स्थापना।
वाराणसी, 6 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र में आयोजित डायरेक्ट सीडेड राइस (डीएसआर) कॉन्क्लेव में संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को स्पष्ट किया कि उत्तर प्रदेश को भारत ही नहीं, बल्कि वैश्विक फूड बास्केट के रूप में विकसित करने का संकल्प लिया गया है।
उन्होंने कहा कि यदि समय पर तकनीक और बीज उपलब्ध कराए जाएं, तो राज्य उत्पादन में तीन गुना की वृद्धि कर सकता है। उत्तर प्रदेश ने 2029-30 तक वन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है, जिसमें कृषि क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ईरी और सीआईपी जैसे संस्थानों के सहयोग से सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित किए जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने काशी की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्वता का भी उल्लेख किया और कहा कि भगवान विश्वनाथ की नगरी हमें उन्नत खेती के प्रति प्रेरित करती है। अन्नं बहु कुर्वीत तद् व्रतम् की परंपरा को आगे बढ़ाना ही हमारा संकल्प है। अच्छी कृषि के लिए उर्वरता, सिंचाई और पर्याप्त धूप अत्यंत आवश्यक हैं और इन दृष्टियों से भारत काफी समृद्ध है। देश के पास 17 करोड़ हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है, जिसमें से 60 प्रतिशत भूमि सिंचित है। उत्तर प्रदेश अकेले देश का 21 प्रतिशत खाद्यान्न उत्पादन करता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले 11 वर्षों में कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन आए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में किसानों को सॉयल हेल्थ कार्ड, कृषि बीमा, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, लागत से डेढ़ गुना एमएसपी और पीएम किसान सम्मान निधि जैसी योजनाओं से जोड़ा गया है। प्रदेश के पास 11 प्रतिशत भूभाग और 17 प्रतिशत जनसंख्या है, लेकिन यह अकेला राज्य 21 प्रतिशत खाद्यान्न उत्पादन करता है। धान, गेहूं, गन्ना, आलू, दलहन और तिलहन की खेती में उत्तर प्रदेश अग्रणी है। राज्य में चार सरकारी, दो केंद्रीय और एक निजी कृषि विश्वविद्यालय हैं। इसके अलावा 89 कृषि विज्ञान केंद्र किसानों को तकनीकी सहायता प्रदान कर रहे हैं। 2018 में वाराणसी में ईरी का दक्षिण एशिया केंद्र खुलने के बाद धान की विभिन्न वैरायटी पर रिसर्च जारी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि काला नमक चावल भगवान बुद्ध द्वारा तीन हजार साल पहले दिया गया था, जिसे हम भगवान बुद्ध के प्रसाद के रूप में दुनिया में बढ़ावा दे रहे हैं। उत्तर प्रदेश में धान की खेती का 8 हजार साल पुराना इतिहास है। तंजावुर और रामनाथपुरम के शिलालेखों में प्राचीन भारत की उन्नत खेती के प्रमाण मिलते हैं। आजादी के बाद उत्तर प्रदेश में 11.77 मिलियन टन खाद्यान्न का उत्पादन होता था, जो अब बढ़कर 60 ट्रिलियन टन हो गया है। रकबा भी 170 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 240 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है, जो पांच गुना वृद्धि को दर्शाता है।
मुख्यमंत्री योगी ने बताया कि लखनऊ में पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के नाम पर 250 एकड़ में सीड पार्क स्थापित किया जाएगा। यहां जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए बेहतर बीज किसानों को उपलब्ध कराए जाएंगे। डीजी ईरी यवोन पिंटो और डीजी सीआईपी डॉ. साइमन हेक की उपस्थिति में मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि आगरा में जल्द ही इंटरनेशनल पोटेटो सेंटर स्थापित होगा।
कॉनक्लेव में आईआरआरआई और जेएनवीवी द्वारा विकसित बैट्री संचालित ई-सीडर और प्रिसिजन हिल सीडर का लोकार्पण किया गया। इसके साथ ही धान की सीधी बुवाई, जीरो टिलेज गेहूं और समृद्धि धान नेटवर्क पर आधारित प्रकाशन सामग्री का विमोचन भी किया गया।
मुख्यमंत्री ने उम्मीद जाहिर की कि प्रधानमंत्री के आह्वान पर वैज्ञानिक अब केवल लैब तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि जमीन पर उतरकर रिसर्च का डेमॉन्स्ट्रेशन करेंगे ताकि किसानों तक नई तकनीक सीधे पहुंचे। उत्तर प्रदेश में 70 लाख हेक्टेयर में धान, 100 लाख हेक्टेयर में गेहूं और 29 लाख हेक्टेयर में गन्ने की खेती की जाती है। दलहन और तिलहन के लिए भी यहां व्यापक भूमि है।