क्या पोलियो ने हिना नाज के हौसले को तोड़ा?

सारांश
Key Takeaways
- हौसला और संघर्ष कठिनाइयों को पार कर सकता है।
- महिलाएं अपने अधिकारों के लिए खड़ी हो सकती हैं।
- सकारात्मक सोच से आत्मनिर्भरता संभव है।
- सामाजिक कार्य से समाज में बदलाव लाया जा सकता है।
- शारीरिक चुनौतियां किसी की क्षमता को परिभाषित नहीं करतीं।
लखनऊ, 28 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। जब कठिनाइयां हौसलों से टकराती हैं, तब एक नई कहानी जन्म लेती है। एटा जिले के मोहल्ला पोस्तीखाना, कस्बा सकीब की हिना नाज की कहानी कुछ ऐसी ही है। हिना योगी सरकार के मिशन शक्ति अभियान के माध्यम से नारी सुरक्षा, सम्मान और स्वावलंबन की एक प्रेरणादायक मिसाल बन गई हैं।
पोलियो से एक पैर से प्रभावित होने के बावजूद, उन्होंने कभी भी हार नहीं मानी। कासगंज जिला प्रोबेशन कार्यालय में एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में कार्यरत, हिना साहस और सेवा-भावना की जीवित मिसाल हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की महिला सशक्तीकरण मुहिम ने हिना जैसे समर्पित महिलाओं को नारी शक्ति के रूप में सशक्त किया है, जो पीड़ित महिलाओं को सुरक्षा, सम्मान और आत्मनिर्भरता की राह दिखा रही हैं।
हिना नाज रोज सुबह अपने घर से निकलकर कासगंज कार्यालय पहुंचती हैं, जो कि 150 किलोमीटर की यात्रा होती है। न तो ठंड और न ही तपती धूप उन्हें रोक पाती है। उनका एक ही संकल्प है कि किसी भी पात्र महिला को योजनाओं से वंचित न रहने देना।
जिला प्रोबेशन कार्यालय में आने वाली महिलाओं के लिए वे अब सहारा और उम्मीद का प्रतीक बन चुकी हैं। हिना स्वयं दस्तावेज का सत्यापन करती हैं और यह सुनिश्चित करती हैं कि हर पात्र महिला को समय पर पेंशन मिले। उनकी कार्यशैली में ईमानदारी और संवेदनशीलता झलकती है।
जब उन्होंने शुरुआत की थी, तब जिले में करीब 8,000 निराश्रित महिलाएं पेंशन योजना का लाभ उठा रही थीं, लेकिन उनके अथक प्रयासों के कारण यह संख्या सितंबर 2025 तक 26,928 तक पहुंच गई। इसके साथ ही, योगी सरकार की और स्पॉन्सरशिप योजना के तहत बच्चों को योजना का लाभ दिलाकर उन्हें मुख्यधारा से जोड़ा जा रहा है।
यह उपलब्धि यह दर्शाती है कि यदि निष्ठा और लगन हो, तो किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। असली शक्ति शारीरिक सामर्थ्य में नहीं, बल्कि मनोबल और आत्मविश्वास की दृढ़ता में होती है। हिना मानती हैं कि शारीरिक चुनौतियां इंसान की शक्ति को परिभाषित नहीं करतीं। खुश रहने के लिए किसी सहारे की आवश्यकता नहीं होती, बस खुद पर भरोसा होना चाहिए।
उन्होंने अपने संघर्ष को ही अपनी शक्ति बनाया और आज हजारों महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का रास्ता दिखा रही हैं। हिना नाज का जीवन इस अभियान की सजीव तस्वीर है। उन्होंने यह साबित किया है कि महिला सशक्तीकरण केवल नीतियों और योजनाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जमीनी स्तर पर महिलाओं की बदलती सोच और आत्मविश्वास से साकार होता है।
महिला एवं बाल विकास विभाग से जुड़ी हिना की मेहनत और सकारात्मक ऊर्जा हर एटा और कासगंज दोनों जिलों की महिलाओं को संबल देती है। उनके प्रयासों से प्रभावित होकर अब अन्य महिलाएं भी उनसे प्रेरणा लेती हैं और मार्गदर्शन प्राप्त करती हैं। आज हिना नाज न केवल कासगंज और एटा की ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश की महिलाओं के लिए एक मिसाल बन चुकी हैं। वे सिखाती हैं कि यदि मन में सेवा की भावना और कार्य के प्रति निष्ठा हो तो कोई भी कठिनाई रास्ते की रुकावट नहीं बन सकती।