क्या उत्तराखंड ग्रामीण बैंक के पूर्व प्रबंधक और 5 अन्य बैंक धोखाधड़ी के दोषी करार दिए गए?

सारांश
Key Takeaways
- लक्ष्मण सिंह रावत को दो वर्ष की सजा मिली।
- बैंक को 1,23,49,842 रुपए का नुकसान हुआ।
- धोखाधड़ी की शिकायत 2010 में की गई थी।
- सीबीआई ने समय पर जांच की और चार्जशीट दाखिल की।
- जनता से धोखाधड़ी की जानकारी देने की अपील।
देहरादून, 30 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। सीबीआई कोर्ट, देहरादून ने मंगलवार को उत्तराखंड ग्रामीण बैंक के पूर्व प्रबंधक लक्ष्मण सिंह रावत और उनके साथ पांच अन्य व्यक्तियों को बैंक धोखाधड़ी के एक गंभीर मामले में दोषी करार देते हुए सजा सुनाई है।
कोर्ट ने लक्ष्मण सिंह रावत को दो वर्ष की सजा और 15,000 रुपए का जुर्माना लगाया, जबकि अन्य पांच आरोपियों (माकन सिंह नेगी, कलम सिंह नेगी, संजय कुमार, आरसी आर्य और मीना आर्य) को एक-एक वर्ष की सजा और 10,000 रुपए जुर्माना देने का आदेश दिया।
यह मामला 24 फरवरी 2010 को तब दर्ज किया गया जब उत्तराखंड ग्रामीण बैंक के मुख्य सतर्कता अधिकारी ने एक लिखित शिकायत सीबीआई को सौंपी। शिकायत में कहा गया कि बैंक के तत्कालीन प्रबंधक लक्ष्मण सिंह रावत ने 1,23,49,842 रुपए की अवैध डेबिट एंट्री की थी। उन्होंने यह राशि बैंक के हेड ऑफिस के खाते से निकालकर प्रेम नगर शाखा के माध्यम से 6 अलग-अलग लोन खातों में ट्रांसफर कर दी, जो सभी निजी व्यक्तियों या संस्थाओं से संबंधित थे।
सीबीआई ने जांच के बाद पाया कि यह सारा लेनदेन जानबूझकर और योजना के तहत किया गया था, जिससे बैंक को भारी वित्तीय नुकसान हुआ।
सीबीआई ने जांच पूरी करने के बाद 1 अप्रैल 2011 को लक्ष्मण सिंह रावत और पांच अन्य व्यक्तियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। इसके बाद, सीबीआई विशेष न्यायालय, देहरादून ने सभी आरोपियों पर आरोप तय किए और ट्रायल शुरू किया। मामले की सुनवाई के दौरान सभी पक्षों की दलीलें सुनी गईं और साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट ने सभी 6 आरोपियों को दोषी ठहराया।
सीबीआई ने आम जनता से अपील की है कि किसी भी प्रकार की बैंकिंग धोखाधड़ी की जानकारी तुरंत संबंधित विभाग या एजेंसी को दें ताकि समय रहते कार्रवाई की जा सके।