क्या उत्तराखंड पंचायत चुनावों में कांग्रेस के आरोप सही हैं? चुनाव आयोग ने किया खंडन

सारांश
Key Takeaways
- चुनाव आयोग ने कांग्रेस के आरोपों को खंडन किया।
- पंचायत चुनाव राज्य निर्वाचन आयोगों द्वारा कराए जाते हैं।
- कांग्रेस ने इसे वोट चोरी बताया।
- चुनाव आयोग ने अपनी भूमिका स्पष्ट की।
- राजनीतिक विवादों ने चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित किया।
नई दिल्ली, 27 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) ने शनिवार को उत्तराखंड पंचायत चुनावों में कथित अनियमितताओं के संबंध में कांग्रेस पार्टी द्वारा लगाए गए आरोपों का खंडन किया और उनके दावों को गलत और भ्रामक करार दिया।
यह विवाद तब शुरू हुआ जब कांग्रेस के आधिकारिक हैंडल एक्स पर एक वीडियो साझा किया गया, जिसमें आरोप लगाया गया कि भारत का निर्वाचन आयोग उन नामांकनों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहा है, जिनके नाम एक से अधिक मतदाता सूची में थे।
पोस्ट में आगे दावा किया गया कि उत्तराखंड उच्च न्यायालय के निर्देशों के बावजूद, चुनाव आयोग ने ऐसी डुप्लिकेट प्रविष्टियों को हटाने से इनकार कर दिया, जिसके कारण सर्वोच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग पर 2 लाख रुपए का जुर्माना लगाया।
कांग्रेस ने इसे "वोट चोरी" बताया और भाजपा तथा चुनाव आयोग पर लोकतंत्र को कुचलने के लिए मिलीभगत करने का आरोप लगाया।
चुनाव आयोग ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए अपने आधिकारिक एक्स हैंडल के जरिए एक फ़ैक्ट चेक किया और स्पष्ट किया कि कांग्रेस की पोस्ट तथ्यात्मक रूप से गलत थी। चुनाव आयोग ने कहा, "यह पोस्ट गलत और भ्रामक है।"
चुनाव आयोग ने इस बात पर जोर दिया कि पंचायत और नगरपालिका चुनाव भारत निर्वाचन आयोग द्वारा नहीं, बल्कि राज्य निर्वाचन आयोगों द्वारा कराए जाते हैं।
संविधान के अनुच्छेद 324 का हवाला देते हुए, ईसीआई ने कहा कि चुनाव आयोग संसद, प्रत्येक राज्य की विधायिका, तथा राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के कार्यालय का चुनाव कराने तक सीमित है।
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि सभी पंचायत और नगरपालिका चुनाव संबंधित राज्य चुनाव आयोगों के अधिकार क्षेत्र में आते हैं।
आयोग ने भारत निर्वाचन आयोग और राज्य निर्वाचन आयोगों के बीच भूमिकाओं और जिम्मेदारियों में अंतर को समझाने के लिए एक आधिकारिक लिंक भी साझा किया।
चुनाव आयोग का यह स्पष्टीकरण ऐसे समय में आया है जब राजनीतिक घमासान तेज हो गया है, जिसमें कांग्रेस आगामी राज्य और स्थानीय चुनावों के मद्देनजर चुनाव आयोग पर निशाना साध रही है।
जहां विपक्ष ने कथित मतदाता सूची विसंगतियों पर चिंता जताई है, वहीं भारत निर्वाचन आयोग लगातार यह कहता रहा है कि पंचायत स्तर के चुनावों के लिए केवल राज्य चुनाव निकाय ही जिम्मेदार हैं।