क्या 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड का गठन एक ऐतिहासिक दिन था?
सारांश
Key Takeaways
- उत्तराखंड का गठन 9 नवंबर 2000 को हुआ था।
- यह राज्य भारत का 27वां राज्य है।
- संविधान के अनुच्छेद-3 के तहत अलग राज्य बनाने की प्रक्रिया हुई।
- अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- उत्तराखंड अब नई ऊंचाइयों को छू रहा है।
नई दिल्ली, 8 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तराखंड के इतिहास में 9 नवंबर की तारीख विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। यह उत्तराखंड के स्थापना दिवस का दिन है, जिसने 2025 में अपने 25 वर्ष पूरे कर लिए हैं। उत्तराखंड की स्थापना की मांग को लेकर कई वर्षों तक आंदोलन हुए। 1990 के दशक का वह आखिरी समय था, जब उत्तराखंड के लोग पृथक राज्य के निर्माण के लिए संघर्ष कर रहे थे। अंततः 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड ने भारत के 27वें राज्य के रूप में अपनी पहचान प्राप्त की। वर्तमान में उत्तराखंड शिखर जैसी ऊंचाइयों को छू रहा है और राज्य स्थापना की 'सिल्वर जुबली' मना रहा है।
जन आंदोलन तो आवश्यक थे, लेकिन अलग राज्य का निर्माण संविधान के अनुच्छेद-3 के अंतर्गत एक विधायी प्रक्रिया से ही संभव था। इस प्रक्रिया की शुरुआत संसद के किसी सदन में पुनर्गठन विधेयक पेश करने से होती है, जिसे मूल राज्य उत्तर प्रदेश की विधानसभा में सहमति के लिए भेजा जाता है।
संविधान में अलग राज्य बनाने की प्रक्रिया अनुच्छेद 3 के अंतर्गत निर्धारित है। राष्ट्रपति की अनुमति पर प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन में पेश किया जाता है और फिर उसे संबंधित राज्य की विधानसभा में भेजा जाता है। राज्य विधानसभा निर्धारित समय में विधेयक पर निर्णय लेकर उसे वापस संसद में भेजती है। पृथक राज्य निर्माण विधेयक को संसद के दोनों सदनों में साधारण बहुमत से पास करवाने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी से ही अलग राज्य का निर्माण कानूनी रूप से संभव है।
19 मार्च 1998 को केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने शपथ ली। तब तक पृथक उत्तराखंड राज्य आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिल चुकी थी। भाजपा केवल उत्तराखंड राज्य ही नहीं, बल्कि झारखंड और छत्तीसगढ़ को भी पृथक राज्य बनाना चाहती थी।
1998 में अटल बिहारी वाजपेयी की कैबिनेट ने उत्तराखंड को अलग राज्य बनाने के लिए पुनर्गठन विधेयक को लोकसभा में पेश करने का निर्णय लिया। विधेयक पेश करते ही पृथक उत्तराखंड राज्य के निर्माण के लिए विधायी प्रक्रिया शुरू हुई।
बाद में विधेयक लोकसभा में पेश किया गया। इसके बाद लोकसभा ने संविधान के अनुच्छेद-3 के अंतर्गत इस विधेयक को चर्चा के लिए मूल प्रदेश उत्तर प्रदेश की विधानसभा को भेजा। राज्य सरकार ने उत्तराखंड को अलग राज्य बनाने के विधेयक पर चर्चा के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया और विधेयक को पास किया।
17 अप्रैल 1999 को 13 महीने पुरानी अटल सरकार गिर गई और विधेयक लोकसभा में ठंडे बस्ते में चला गया। हालांकि, चुनावों के बाद जब फिर से अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनी, तो उत्तराखंड को नए राज्य के रूप में स्थापित करने की प्रक्रिया पुनः शुरू हुई।
पृथक उत्तराखंड राज्य के लिए सहमति मिलने के बावजूद, एनडीए सरकार के सामने विधेयक को संसद के दोनों सदनों में पास करवाना एक बड़ी चुनौती थी, क्योंकि लोकसभा में भाजपा के पास अकेले बिल पास कराने के लिए आवश्यक संख्या नहीं थी।
उत्तर प्रदेश विधानसभा से पास होकर आया विधेयक लोकसभा में रखा गया। अटल सरकार ने बिल पास कराने में सफलता प्राप्त की, लेकिन असली चुनौती राज्यसभा में थी। 1999 में राज्यसभा में एनडीए गठबंधन अल्पमत में था।
245123 की संख्या को पूरा करना आवश्यक था। उस समय कुछ विपक्षी दलों के सहयोग से अटल सरकार ने इस विधेयक को राज्यसभा में भी पास करवा लिया।
इस प्रकार, संसद के दोनों सदनों में विधेयक पास होने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी से यह 'उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम' बना। इसी अधिनियम के तहत 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड भारत गणराज्य का 27वां राज्य बना।