क्या उत्तरकाशी में आपदा के बीच रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है?

सारांश
Key Takeaways
- उत्तरकाशी में राहत और बचाव अभियान जारी है।
- आईटीबीपी की पांच टीमें रेस्क्यू कार्य में लगी हैं।
- 110 से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाला गया है।
- बारिश राहत कार्य में चुनौती पैदा कर रही है।
- भारत-चीन सीमा पर स्थिति सामान्य है।
उत्तरकाशी, 6 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। उत्तराखंड के धराली में आई प्राकृतिक आपदा के पश्चात राहत और बचाव अभियान को युद्धस्तर पर संचालित किया जा रहा है। भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के डीआईजी (ऑपरेशन) बरिंदरजीत सिंह ने जानकारी दी कि आईटीबीपी की पांच टीमों को मौके पर भेजा गया था, जिनमें से वर्तमान में तीन टीमें रेस्क्यू ऑपरेशन का हिस्सा हैं।
हर्षिल और गंगोत्री क्षेत्र में ये टीमें राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं। राष्ट्र प्रेस से बातचीत के दौरान डीआईजी बरिंदरजीत सिंह ने बताया कि रात में ऑपरेशन के दौरान लगभग 110 लोगों को सुरक्षित निकाला गया, जिनमें पर्यटक और स्थानीय निवासी शामिल हैं। इनमें से कुछ को गंगोत्री धाम की ओर भेजा गया, जबकि घायल व्यक्तियों को प्राथमिक उपचार के बाद आईटीबीपी की पोस्ट पर लाया गया।
उन्होंने बताया कि बुधवार सुबह से युद्धस्तर पर अभियान की शुरुआत की गई। हर्षिल में एयर रेस्क्यू भी प्रारंभ हो चुका है। करीब पांच घायलों को सुरक्षित निकाला गया है। वहीं, फंसे हुए लोगों को बचाने के लिए अस्थायी पुलों का निर्माण किया जा रहा है। कुछ लोग पहाड़ी पर भाग गए थे, जिनका भी रेस्क्यू किया जा रहा है।
डीआईजी ने बताया कि लगभग 7 लोग लापता हैं। 4 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जिनमें से एक का शव बुधवार सुबह बरामद हुआ।
उन्होंने कहा कि मौसम का पूर्वानुमान होता है, लेकिन इसके प्रभाव का अनुमान लगाना कठिन है। हम हमेशा अलर्ट रहते हैं। लगातार बारिश हो रही थी, लेकिन इस तरह बादल फटने की घटना का अनुमान लगाना कठिन होता है।
डीआईजी बरिंदरजीत सिंह ने बताया कि ऑपरेशन में बारिश एक बड़ी चुनौती बन रही है। यदि मौसम अनुकूल होता है तो रेस्क्यू टीम को सुविधा होगी, लेकिन आगे भी बारिश की संभावना है, जिससे एयर रेस्क्यू में बाधा आ सकती है।
बॉर्डर क्षेत्रों की स्थिति पर बात करते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत-चीन सीमा पर किसी प्रकार की अप्रिय घटना की सूचना नहीं है। आपदा का प्रभाव मुख्य रूप से घाटी क्षेत्र में देखा गया है, जहां कुछ स्थानों पर सड़कों पर भूस्खलन और बंदिशों का सामना किया जा रहा है।