क्या वन्यजीव सप्ताह: जंगलों की खामोशी और विलुप्त होती प्रजातियों के बीच भारत का वैश्विक संदेश है?

सारांश
Key Takeaways
- वन्यजीव पारिस्थितिक संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- हमारी जैव विविधता को बचाने के लिए कदम उठाना आवश्यक है।
- भारत में वन्यजीव सप्ताह हर साल मनाया जाता है।
- वन्यजीवों का संरक्षण आर्थिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।
- भारत में 89 राष्ट्रीय उद्यान और 400 से अधिक वन्यजीव अभयारण्य हैं।
नई दिल्ली, 2 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत न केवल अपनी सांस्कृतिक विविधता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह जैव विविधता का एक असाधारण केंद्र भी है। उत्तर में बर्फीले हिमालय से लेकर दक्षिण के सदाबहार वर्षावनों तक, पश्चिम की गर्म रेगिस्तानी रेत से पूर्व के नम और दलदली मैंग्रोव तक, भारत का हर हिस्सा अद्वितीय पारिस्थितिक तंत्र का उदाहरण प्रस्तुत करता है।
इन तंत्रों के बीच लाखों वन्यजीव निवास करते हैं, जो न केवल प्रकृति की सुंदरता को जीवंत करते हैं, बल्कि पारिस्थितिक संतुलन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत हर साल पूरी दुनिया का ध्यान जैव विविधता के गहराते संकट की ओर आकर्षित करता है। चिंताजनक स्थिति यह है कि वन्यजीवों का विलुप्त होना एक ऐसा मुद्दा है, जो केवल भारत में ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी चिंता का विषय है।
हम आज छठे 'मास एक्सटिंक्शन' यानी सामूहिक विलुप्ति के कगार पर खड़े हैं। पहले ही पृथ्वी ने 5 विलुप्तियों का सामना किया है। अगर वर्तमान स्थिति बनी रहती है, तो मानवीय गतिविधियों के कारण छठा विलुप्तिकरण भी संभव है। संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी है कि अगले कुछ दशकों में दस लाख प्रजातियां लुप्त हो सकती हैं।
लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट के अनुसार, 1970 से 2016 तक पृथ्वी की वन्यजीव आबादी में निगरानी की गई कशेरुकी प्रजातियों में औसतन 68 प्रतिशत की गिरावट आई। यह आंकड़ा हमें सोचने पर मजबूर करता है कि हमारी प्रकृति को बचाने के लिए कदम उठाना कितना आवश्यक है।
यह किसी से छिपा नहीं है कि वन्यजीव पर्यावरण संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वन्य जीवन विभिन्न प्राकृतिक प्रक्रियाओं को स्थिरता प्रदान करता है। वन्यजीवों का महत्व कई प्रकार से समझा जा सकता है, जैसे पर्यावरण में संतुलन बनाए रखना, आर्थिक लाभ देना, वैज्ञानिक खोजों में मदद करना और जैव विविधता को संरक्षित करना।
कई देशों ने अपने प्राकृतिक वन्यजीवों के इर्द-गिर्द पर्यटन क्षेत्र विकसित किए हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि वन्यजीवों को बचाने के लिए समाज के बीच एक स्पष्ट संदेश दिया जाए। इसी उद्देश्य के लिए हर साल 2 अक्टूबर से 8 अक्टूबर तक वन्यजीव सप्ताह मनाया जाता है।
वन्यजीव सप्ताह की शुरुआत 1952 में कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाकर भारतीय जानवरों के जीवन को बचाने के उद्देश्य से की गई थी। इसमें भारत की किसी भी प्रजाति को विलुप्त होने से बचाने की योजनाएं बनाना शामिल है।
हालांकि, भारत में पहली बार विलुप्त हो रहे वन्यजीवों के संरक्षण के लिए 7 जुलाई, 1955 को 'वन्य प्राणी दिवस' मनाया गया था। बाद में इसे हर साल 2 अक्टूबर से पूरे सप्ताह तक वन्य प्राणी दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत में साल 1956 से लगातार वन्य प्राणी सप्ताह मनाया जा रहा है।
दक्षिण भारत में, पेरियार वन्यजीव अभयारण्य, बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान और मुदुमलाई वन्यजीव अभयारण्य जंगलों के आस-पास और जंगलों में स्थित हैं। भारत कई राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों का घर है, जो अपने वन्यजीवों की विविधता, अद्वितीय जीवों और उनकी विविधता में उत्कृष्टता को दर्शाते हैं।
भारत भर में 89 राष्ट्रीय उद्यान, 13 जैव आरक्षित क्षेत्र और 400 से अधिक वन्यजीव अभयारण्य हैं, जो बंगाल टाइगर, एशियाई शेर, भारतीय हाथी, भारतीय गैंडे, पक्षियों और अन्य वन्यजीवों को देखने के लिए सर्वोत्तम स्थान हैं, जो देश में प्रकृति और वन्यजीव संरक्षण को दिए जाने वाले महत्व को दर्शाते हैं।