क्या वंदे मातरम केवल एक राष्ट्रीय गीत है, या यह एक मंत्र है? मंत्री आशीष सूद का बयान
सारांश
Key Takeaways
- वंदे मातरम को केवल एक राष्ट्रीय गीत नहीं, बल्कि एक मंत्र माना जाता है।
- यह मंत्र देश की एकता का प्रतीक है।
- प्रधानमंत्री ने वंदे मातरम की नई परिभाषा प्रस्तुत की है।
- दिल्ली को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त बनाना हमारा लक्ष्य है।
- विकास के लिए लोगों की भागीदारी आवश्यक है।
नई दिल्ली, 7 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली सरकार के मंत्री आशीष सूद ने शुक्रवार को वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने के अवसर पर कहा कि यह केवल राष्ट्रीय गीत नहीं, बल्कि एक मंत्र है। इसके माध्यम से पूरे देश को एकजुट करने का प्रयास किया गया है। यह मंत्र देश की एकता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
उन्होंने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वंदे मातरम की नई परिभाषा स्थापित की है, जो आज के कई युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। मैं मानता हूँ कि यह देश के युवाओं के लिए एक मार्गदर्शक पट्टिका के समान है।
उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने देश को अंग्रेजों की बेड़ियों से मुक्त किया। इसी कारण हम आज स्वतंत्र भारत में सांस ले रहे हैं। अब हम दिल्ली को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं ताकि हमारे नागरिकों को किसी भी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े।
दिल्ली सरकार के मंत्री ने कहा कि आजादी के बाद वंदे मातरम के अर्थ बदल गए हैं। अब इसका वास्तविक अर्थ लोगों की समस्याओं का समाधान करना है। इस दिशा में हमने एक ठोस योजना बनाई है, जिसे हम अब कार्यान्वित कर रहे हैं। आज लोग कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं, लेकिन हमारी सरकार उन्हें समाधान प्रदान करने की कोशिश में जुटी हुई है। यही आज हमारे लिए वंदे मातरम है।
उन्होंने कहा कि हम सभी मिलकर दिल्ली को एक विकसित राष्ट्रीय राजधानी बनाने में लगे हुए हैं। इसके लिए हमारी सरकार ने एक योजना बनाई है, जिस पर काम चल रहा है।
उन्होंने कहा कि अगर दिल्ली के लोग विकास के लिए एक कदम भी बढ़ाते हैं, तो यह राष्ट्रीय राजधानी के विकास में तीन करोड़ कदम आगे बढ़ाएगा, जिससे यहां की विकास की गति तेज होगी। यही आज हमारा उद्देश्य है, जिसे पूरा करने के लिए हम पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।