क्या वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने का उत्सव बंगाल के लिए गौरव की बात है?

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क्या वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने का उत्सव बंगाल के लिए गौरव की बात है?

सारांश

कोलकाता में ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष पूरे होने का उत्सव मनाया गया। भाजपा विधायक अग्निमित्रा पॉल ने इसे बंगाल के लिए गर्व की बात बताया। जानिए इस मौके पर नेताओं ने क्या कहा और इस गीत का महत्व क्या है।

Key Takeaways

  • वंदे मातरम का 150वां वर्ष एक ऐतिहासिक पल है।
  • यह गीत भारत की आत्मा को दर्शाता है।
  • बंगाल के लिए यह गौरव का विषय है।
  • राजनीतिक दृष्टिकोण से भी इसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

कोलकाता, 7 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। देशभर में ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष पूरे होने का उत्सव शुक्रवार को पूरे उत्साह और गर्व के साथ मनाया गया। इस मौके पर भाजपा विधायक अग्निमित्रा पॉल ने कहा कि यह बंगाल के लिए एक गौरवमयी पल है।

अग्निमित्रा पॉल ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए कहा, "आज देश वंदे मातरम का 150वां वर्ष मना रहा है। यह गीत भारत की आत्मा है, और हमें गर्व है कि इसे हमारे बंगाली लेखक बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने लिखा था। आज भारत के हर कोने में लोग इस गौरव को सेलिब्रेट कर रहे हैं। यह बंगाल के लिए बड़ी उपलब्धि है।"

उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, "मुख्यमंत्री का अजीब व्यवहार है। जो देश, बंगाल और बंगालियों के हित में होता है, वह उन्हें सहन नहीं होता। जब देशभर में वंदे मातरम की चर्चा हो रही है, तो उन्होंने हर विद्यालय में ‘बांग्लार माटी, बांग्लार जल’ का गाना शुरू करवा दिया है। यह किस प्रकार की मानसिकता है? इस तरह की नकारात्मक राजनीति पर शर्म आनी चाहिए।"

इस अवसर पर केंद्रीय राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने कहा, "मैंने उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत के साथ केंद्रीय विद्यालय पीएमसी में कार्यक्रम में भाग लिया, जहां बच्चों ने सामूहिक रूप से ‘वंदे मातरम’ का गायन किया। यह पूरे देश के लिए गर्व का क्षण है, और विशेष रूप से बंगाल के लिए यह गर्व का विषय है, क्योंकि वंदे मातरम बंगाल की धरती की देन है।"

उन्होंने आगे कहा, "यह गीत बंगाली संस्कृति और भारत की एकता दोनों का प्रतीक है, जिसने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लाखों देशवासियों को प्रेरित किया।"

इस बीच, कांग्रेस प्रवक्ता अभय दुबे ने पीएम मोदी पर टिप्पणी करते हुए कहा, "जब भारत ब्रिटेन की जंजीरों में जकड़ा हुआ था, तब अगर आपकी विचारधारा या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कभी ‘वंदे मातरम’ का नारा लगाया होता तो आपके लोग स्वतंत्रता सेनानी कहलाते।"

उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा आज देशभक्ति की भावना को राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रही है, जबकि ‘वंदे मातरम’ का अर्थ पूरे देश की एकता और त्याग की भावना से जुड़ा है।

Point of View

बल्कि यह हमारे देश की एकता और संस्कृति का प्रतीक है। नेताओं के विचारों में भिन्नता हो सकती है, लेकिन इस गीत का महत्व प्रत्येक भारतीय के दिल में है।
NationPress
07/11/2025

Frequently Asked Questions

वंदे मातरम का महत्व क्या है?
वंदे मातरम भारतीय संस्कृति, एकता और स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक है।
कौन है वंदे मातरम के लेखक?
वंदे मातरम के लेखक बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय हैं।