क्या वंदे मातरम में कांट-छांट से हिन्दुस्तान के दो टुकड़े हो गए? - बाबूलाल मरांडी
सारांश
Key Takeaways
- वंदे मातरम का महत्व राष्ट्रीय पहचान में है।
- आजादी से पहले भी इस प्रकार की कांट-छांट हुई थी।
- झारखंड में सरस्वती पूजा के दौरान विवाद।
- विपक्षी सांसदों का वॉकआउट महत्वपूर्ण है।
- कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति पर सवाल।
रांची, 10 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भाजपा के प्रमुख नेता बाबूलाल मरांडी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि वंदे मातरम में कांट-छांट के कारण ही हिंदुस्तान के दो टुकड़े हुए।
भाजपा के इस वरिष्ठ नेता का यह बयान संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान 10 घंटे की वंदे मातरम पर हुई चर्चा के बाद सामने आया है।
रांची में मीडिया से बात करते हुए भाजपा नेता ने कहा कि आजादी से पहले भी वंदे मातरम सहित अनेक चीजों में इसी प्रकार की काट-छांट की गई थी।
उन्होंने झारखंड का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रदेश के कई क्षेत्रों में सरस्वती पूजा होती है, लेकिन पत्थरबाजी शुरू हो जाती है। सार्वजनिक मार्गों पर मूर्ति विसर्जन पर प्रतिबंध लगाया जाता है। यह अब सहन नहीं किया जा सकता।
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि वंदे मातरम के कांट-छांट के कारण ही देश दो भागों में बंटा। संसद में वंदे मातरम पर चर्चा के दौरान कई विपक्षी सांसदों ने वॉकआउट किया।
उन्होंने विपक्षी सांसदों को निशाने पर लेते हुए कहा कि मैंने भाषण सुना, मैंने देखा कि आज भी कई विपक्षी सांसद खुलेआम कह रहे हैं कि हम वंदे मातरम नहीं गाएंगे। देश में अब यह अवस्था नहीं चलने वाली है।
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और इंडी गठबंधन वाले संविधान और सेक्युलरिज्म की बातें करते हैं, लेकिन बहस में भाग नहीं लेते। वे हमारे मंदिर में दीपक जलने नहीं देंगे, भजन-कीर्तन नहीं होने देंगे। यह अब और सहन नहीं किया जाएगा। मैं मांग करता हूं कि वंदे मातरम और अन्य प्रतीकों के सम्मान पर पूरे देश में खुली बहस होनी चाहिए।
भाजपा के इस वरिष्ठ नेता ने कहा कि वंदे मातरम ने आजादी के आंदोलन को स्वर और शक्ति दी। इस जयघोष ने हर भारतीय के मन में मातृभूमि के प्रति समर्पण और साहस जगाया। राष्ट्रभक्ति का यह संदेश आज भी राष्ट्रीय चेतना को ऊर्जावान बनाता है। तुष्टिकरण की राजनीति के दबाव में कांग्रेस ने वंदे मातरम के बंटवारे के लिए झुकना पड़ा, इसलिए एक दिन कांग्रेस को भारत के बंटवारे के लिए झुकना पड़ा।