क्या 'वंदे मातरम' आजादी की रक्षा के लिए प्रेरणा देता है? पीएम मोदी ने किया स्मरणोत्सव का उद्घाटन
सारांश
Key Takeaways
- 'वंदे मातरम' आजादी का प्रतीक है।
- पीएम मोदी ने स्मरणोत्सव में सिक्का और डाक टिकट जारी किया।
- यह महाउत्सव हमें प्रेरणा देता है।
- गुलामी के काल में इसका महत्वपूर्ण स्थान था।
- हमें आजादी की रक्षा की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
नई दिल्ली, ७ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम' के एक वर्ष के स्मरणोत्सव का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने एक स्मारक डाक टिकट और सिक्का भी जारी किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि ७ नवंबर २०२५ का दिन ऐतिहासिक है। आज हम 'वंदे मातरम' के १५०वें वर्ष का महाउत्सव मना रहे हैं। यह अवसर हमें नई प्रेरणा देगा और देशवासियों को नई ऊर्जा से भर देगा। इस दिन को यादगार बनाने के लिए विशेष सिक्का और डाक टिकट भी जारी किए गए हैं।
इस अवसर पर पीएम मोदी ने देश के लाखों महापुरुषों और मां भारती की संतानों को 'वंदे मातरम' के लिए समर्पित जीवन के लिए श्रद्धा पूर्वक नमन किया।
उन्होंने कहा कि 'वंदे मातरम', ये शब्द एक मंत्र, एक ऊर्जा, एक स्वप्न और एक संकल्प है। 'वंदे मातरम' मां भारती की साधना और आराधना का प्रतीक है। यह शब्द हमें इतिहास में ले जाता है, हमारे वर्तमान को आत्मविश्वास से भरता है और भविष्य को नई प्रेरणा देता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि गुलामी के काल में 'वंदे मातरम' का संकल्प था कि भारत की आजादी का, मां भारती के हाथों से गुलामी की बेड़ियां टूटेंगी। यह गीत आजादी का तराना होने के साथ-साथ इस बात की प्रेरणा भी देता है कि हमें इस आजादी की रक्षा कैसे करनी है।
उन्होंने कहा कि इस गीत की रचना गुलामी के दौरान हुई, लेकिन इसके शब्द कभी भी गुलामी के साए में कैद नहीं रहे। यही कारण है कि 'वंदे मातरम' हर दौर में प्रासंगिक है।
बंकिमचंद्र को याद करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, "१८७५ में, जब बंकिम बाबू ने 'बंग दर्शन' में 'वंदे मातरम' प्रकाशित किया, तब कुछ लोगों को लगा था कि यह बस एक गीत है। लेकिन यह गीत भारत के स्वतंत्रता संग्राम का स्वर बन गया।"
उन्होंने आगे कहा, "१९३७ में, 'वंदे मातरम' के महत्वपूर्ण पदों को तोड़ दिया गया था। इस विभाजन ने देश के विभाजन के बीज बो दिए थे। यह जानना जरूरी है कि राष्ट्र-निर्माण के इस महामंत्र के साथ अन्याय क्यों हुआ।"
देशवासियों को संदेश देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि हमें इस सदी को भारत की सदी बनाना है। यह सामर्थ्य भारत में है और इसके लिए हमें खुद पर विश्वास करना होगा।