क्या चंडीगढ़ के वंश तायल को कोविड में माता-पिता की मौत के बाद मिला प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार?
सारांश
Key Takeaways
- वंश तायल का समाज सेवा में योगदान प्रेरणादायक है।
- कोविड के दौरान माता-पिता को खोने के बाद भी उन्होंने सकारात्मकता दिखाई।
- राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 5 से 18 वर्ष के बच्चों को दिया जाता है।
- स्नेहालय में वंश को सहयोग और समर्थन मिला।
- सरकार का प्रयास बच्चों को सुरक्षित वातावरण प्रदान करने का है।
चंडीगढ़, 27 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। चंडीगढ़ के 17 वर्षीय वंश तायल को समाज सेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह प्रतिष्ठित पुरस्कार नई दिल्ली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों प्रधानमंत्री की उपस्थिति में प्रदान किया गया।
वंश तायल खेलों में भी सक्रिय हैं और स्नेहालय में रह रहे बच्चों की भलाई का विशेष ध्यान रखते हैं। वह इस श्रेणी में भारत के पहले बच्चे हैं जिन्हें यह सम्मान मिला है।
कोविड महामारी के दौरान उसके माता-पिता का निधन हो गया था। इसके बाद उसका पालन-पोषण यूटी प्रशासन के स्नेहालय द्वारा किया जा रहा है। वंश यहीं निवास करता है।
वंश ने राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए कहा, "माता-पिता की मौत के बाद मैं सदमे में था। मुझे कोई भावनात्मक सहारा नहीं मिला और मैं तनाव में आ गया। 2022 में मुझे स्नेहालय में दाखिला मिला, जहां मुझे बहुत सहयोग मिला।"
उन्होंने साझा किया कि एक बच्चे को देखकर उन्होंने उसकी देखभाल शुरू की, जिससे उन्हें प्रेरणा मिली। वंश ने उस बच्चे की फिजियोथेरेपी की और अन्य सहायता प्रदान की। उन्होंने अन्य परेशान बच्चों से बात की और उनकी मदद की। इसके अलावा, उन्होंने पौधारोपण जैसे सामाजिक कार्यों में भी भाग लिया है।
वंश ने कहा, "मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे यह पुरस्कार मिलेगा। मैं आगे साइकोलॉजी में अध्ययन करूंगा और समाज सेवा जारी रखूंगा। माता-पिता के जाने के बाद उस ट्रामा से बाहर निकलना मेरे लिए कठिन था।"
वंश ने बताया कि वह चेस और क्रिकेट भी खेलते हैं। उन्होंने कहा, "सरकार का यह प्रयास प्रशंसनीय है कि बच्चों को रहने के लिए अच्छे होम्स उपलब्ध कराए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने सभी बच्चों से बात की, और मैंने उन्हें अपनी कहानी सुनाई। उन्होंने मेरी प्रशंसा की। मेरे लिए प्रधानमंत्री से मिलना एक विशेष अनुभव था।"
स्नेहालय के सुपरिटेंडेंट ललित अरोड़ा ने बताया कि वंश 2022 में स्नेहालय में आया था। कोविड के दौरान उसके माता-पिता का निधन हुआ था। विभाग ने उसकी सभी आवश्यकताओं का ध्यान रखा।
उन्होंने कहा, "हमें गर्व है कि वह प्रधानमंत्री से मिला और राष्ट्रपति ने उसे सम्मानित किया। पहले एक लड़की को यह पुरस्कार मिला था, लेकिन वंश दूसरा बच्चा है जिसे यह सम्मान प्राप्त हुआ है। आमतौर पर इस तरह की घटनाओं के बाद बच्चे टूट जाते हैं, लेकिन वंश का रेस्पॉन्स बहुत सकारात्मक रहा है।"
जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 5 से 18 वर्ष के बच्चों को दिया जाता है। इस बार देशभर से केवल 20 बच्चों का चयन किया गया है। 2022 के बाद चंडीगढ़ के किसी बच्चे को इस पुरस्कार के लिए चुना गया है।