क्या पाकिस्तान में जन्मे दो दिग्गज भारत के चुनाव मैदान में टकराए? विजय मल्होत्रा ने कांग्रेस से छीनी थी सीट

सारांश
Key Takeaways
- विजय कुमार मल्होत्रा की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
- उन्होंने 2004 के चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ एक महत्वपूर्ण जीत हासिल की।
- उनका योगदान खेलों में भी उल्लेखनीय रहा है।
- मल्होत्रा ने दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी के प्रोफेसर के रूप में कार्य किया।
- उनकी बेदाग छवि ने उन्हें जनता में लोकप्रिय बना दिया।
नई दिल्ली, 30 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली से 5 बार सांसद और 2 बार विधायक रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता विजय कुमार मल्होत्रा ने मंगलवार को इस दुनिया को अलविदा कह दिया। भाजपा के प्रमुख नेताओं में गिने जाने वाले विजय कुमार मल्होत्रा अपनी मजबूत छवि के लिए ही नहीं, बल्कि अपने कार्यों के लिए भी जाने जाते थे। यह इस बात से स्पष्ट होता है कि जब 2004 के आम चुनाव हुए, तब वह कांग्रेस के हाथों से दिल्ली की एक लोकसभा सीट बचाने वाले अकेले भाजपा उम्मीदवार थे।
उस चुनाव में दिल्ली की सात लोकसभा सीटों में से 6 पर कांग्रेस ने अपना कब्जा जमा लिया था। विजय कुमार मल्होत्रा ने अपनी बेदाग छवि के कारण दिल्ली की जनता के बीच एक विशेष पहचान बनाई थी।
उनकी मजबूत शख्सियत का एहसास इस बात से भी होता है कि उन्होंने मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनने से पहले 1999 के आम चुनाव में भारी अंतर से हराया। भारतीय राजनीति के प्रमुख चेहरों में से एक, विजय कुमार मल्होत्रा ने 9वीं और 14वीं लोकसभा में दिल्ली सदर और दक्षिण दिल्ली निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व किया।
82 साल की उम्र में भी, नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा कोई पद न दिए जाने के बावजूद, वीके मल्होत्रा ने दिल्ली के लिए भाजपा के चुनाव अभियान के अध्यक्ष बनने की पेशकश की और सभी 7 सीटें जीतकर भाजपा को शानदार सफलता दिलाई। राजनीति के अलावा, मल्होत्रा 44 वर्षों से राष्ट्रीय खेल महासंघों के महासंगठन और भारतीय तीरंदाजी संघ से जुड़े रहे।
जब 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों के लिए अनुबंध देने में अनियमितताओं के आरोप में सीबीआई ने सुरेश कलमाड़ी को गिरफ्तार किया, उस समय मल्होत्रा भारतीय ओलंपिक संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और आईओए के कार्यवाहक अध्यक्ष थे।
अक्टूबर 2015 में उन्हें अखिल भारतीय खेल परिषद का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। विजय कुमार मल्होत्रा का जन्म 3 दिसंबर 1931 को लाहौर में हुआ था, जबकि मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को गाह गांव में हुआ था। आजादी के बाद, ये दोनों ही स्थान पाकिस्तान का हिस्सा बन गए।
विजय कुमार मल्होत्रा के पिता डॉ. खजान चंद मल्होत्रा एक प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य थे, जबकि मां सुशीला देवी आर्य समाज की कार्यकर्ता थीं। विजय कुमार मल्होत्रा में बचपन से ही गणित में गहरी रुचि थी, जिसके कारण उन्हें स्कूल में दो बार प्रमोट किया गया और इस प्रकार उन्होंने मात्र 18 साल
उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से पढ़ाई की। हिंदी में एम.ए के बाद, उन्होंने कवि सोहन लाल द्विवेदी की कविताओं पर पीएचडी की। जब 1947 में पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर पर हमला किया, तब वह वहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रचारक के रूप में सक्रिय रहे।
वह दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ और हंसराज कॉलेज में छात्र राजनीति से जुड़ गए। 1951 में दिल्ली जनसंघ की स्थापना के समय वह इसके पहले सचिव बने और यहीं से उनकी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत हुई। राजनीति में आने से पहले, विजय कुमार मल्होत्रा ने दिल्ली विश्वविद्यालय के पीजीडीएवी कॉलेज में 35 साल तक हिंदी के प्रोफेसर के रूप में कार्य किया।