क्या विपक्ष बिहार सरकार पर विकास को लेकर सवाल उठा सकता है? : दिलीप जायसवाल

सारांश
Key Takeaways
- बिहार में विकास की गति तेज हुई है।
- विपक्ष अब विकास पर सवाल नहीं उठा सकता।
- पीएम मोदी और अमित शाह की बिहार यात्रा महत्वपूर्ण है।
- राजनीतिक बयानबाजी में सतर्कता आवश्यक है।
- भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार का रुख स्पष्ट है।
पटना, 9 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार भाजपा के अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने मंगलवार को कहा कि जिस तरह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने बिहार को विकसित करने के लिए विकास योजनाओं की गति को बढ़ाया है, उससे मैं खुद हैरान हूं। अब विपक्ष भी विकास के मुद्दे पर सरकार पर सवाल नहीं उठा सकता।
मीडिया से बात करते हुए भाजपा नेता दिलीप जायसवाल ने राजद नेता तेजस्वी यादव के दबाव में योजनाओं को लागू करने के आरोपों पर कहा कि इसका मतलब यह है कि वे हार चुके हैं। सीएम नीतीश कुमार ने विकास के क्षेत्र में एक लंबी लकीर खींच दी है, जिससे विपक्ष भी पीछे हट गया है। बिहार में विकास की नदियाँ बह रही हैं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार आ रहे हैं और पूर्णिया हवाई अड्डे का उद्घाटन करेंगे। दिलीप जायसवाल ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 18 सितंबर को बिहार आ रहे हैं और भाजपा के नेताओं के साथ बैठक करेंगे। बिहार को पांच प्रक्षेत्रों में बाँटा गया है और सभी क्षेत्र के नेताओं के साथ बैठक करेंगे।
राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव द्वारा गयाजी जाकर पिंडदान करने के विषय में उन्होंने कहा कि यह सनातन का परिचय है। हमारी सनातन के प्रति श्रद्धा को यह दिखाता है। सभी को सनातन के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करनी चाहिए।
राजद नेताओं के सनातन के खिलाफ बयान दिए जाने पर उन्होंने कहा कि तुष्टीकरण की राजनीति के तहत वोट के लिए कभी-कभी सनातन के खिलाफ बोल देते हैं, लेकिन उनके दिल में सनातन है, जो साफ दिखाई दे रहा है।
बिहार के मंत्री नितिन नवीन ने तेजस्वी यादव के दबाव में घोषणाओं को लागू करने के आरोपों पर कहा कि सरकार केवल जनता के दबाव में काम करती है। ये भ्रष्टाचारी अपने फायदे के लिए बातें करते हैं। नौकरी देकर जमीन घोटाला करने वाले सरकार पर क्या सवाल उठा सकते हैं? ऐसे भ्रष्टाचारियों से सरकार और जनता सचेत रहती है।
लालू यादव के पूरे परिवार के साथ गयाजी जाने और पिंडदान करने पर नितिन नवीन ने कहा कि जब इनके पार्टी के नेता सनातन को गाली दे रहे थे, तब लालू यादव चुप थे। उस समय उन्हें सनातन की चिंता क्यों नहीं हुई जब उनके पूर्वज भी दुखी हुए होंगे।