क्या विकसित भारत बिल्डथॉन 2025 ने छात्रों को इनोवेशन की नई दिशा दी?

सारांश
Key Takeaways
- छात्रों का नवाचार और रचनात्मकता को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
- आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने में मदद मिल रही है।
- प्रदर्शित तकनीकी पहलें समाज की समस्याओं को हल करने में सहायक हो सकती हैं।
- शिक्षा मंत्री ने बच्चों की प्रतिभा की सराहना की।
- यह कार्यक्रम वोकल फॉर लोकल की थीम पर आधारित है।
नई दिल्ली, 13 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली कैंट के केंद्रीय विद्यालय संख्या 2 में सोमवार को “विकसित भारत बिल्डथॉन 2025” के तहत एक शानदार स्कूल नवाचार कार्यक्रम आयोजित किया गया।
शिक्षा मंत्रालय और अटल इनोवेशन मिशन (नीति आयोग) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस कार्यक्रम में देशभर के छात्रों ने ‘वोकल फॉर लोकल’, ‘स्वदेशी’ और ‘समृद्ध भारत’ की थीम पर आधारित अपनी नवीन परियोजनाओं का प्रदर्शन किया। कार्यक्रम में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भाग लिया।
इस कार्यक्रम के दौरान छात्रों ने कई ऐसी तकनीकी पहलें और प्रोटोटाइप प्रस्तुत किए, जो समाज की समस्याओं का समाधान करने में सहायक बन सकते हैं।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मीडिया से बात करते हुए कहा, 'यह देश की सबसे बड़ी बिल्डथॉन 2025 है। अब तक लगभग 23 लाख छात्र इसमें भाग ले चुके हैं और 10 लाख शिक्षक मेंटर के रूप में जुड़े हैं। हमारा लक्ष्य 2040 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है। बच्चों के इनोवेशन से ही देश आगे बढ़ेगा। नई पीढ़ी में ‘जॉब क्रिएटर’ बनने की भावना तेजी से बढ़ रही है, जो भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगी।'
अंबू सेवा टीम के एक छात्र ने राष्ट्र प्रेस से खास बातचीत में बताया, 'हमारी अंबू सेवा पहल आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए समर्पित है। अक्सर एम्बुलेंस ट्रैफिक में फंस जाती हैं जिससे देरी होती है और कई बार मरीज की जान चली जाती है। हमने एक ऐसा समाधान विकसित किया है, जो एक किलोमीटर के दायरे में लोगों को सूचना देता है कि पीछे से एम्बुलेंस आ रही है। इससे लेन को समय रहते क्लियर किया जा सकता है।'
वहीं एक अन्य छात्र ने अपने ‘जिख्यात’ प्रोजेक्ट के बारे में बताया कि यह बच्चों के लिए बनाया गया है। उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट का विचार उन्हें तब आया जब उनके प्रिंसिपल ने कक्षा के लिए एक विशेष प्रोजेक्ट तैयार किया था।
छात्रा स्नेहा ने बताया कि उनके समूह ने ‘वोकल फॉर लोकल’ के तहत एक पर्यावरण हितैषी परियोजना तैयार की है। उन्होंने कहा, 'हमने नर्सरी में प्लास्टिक के गमलों के बदले कोकोनट (नारियल के खोल) से बने बायोडिग्रेडेबल गमले तैयार किए हैं। इससे प्लास्टिक के उपयोग में कमी आएगी और पर्यावरण को लाभ होगा। लोगों को इसके प्रति जागरूक करने के लिए हम एक वेबसाइट भी बना रहे हैं।'