क्या विपक्षी पार्टियों की मांग के बावजूद विशेष सत्र नहीं बुलाया गया?

सारांश
Key Takeaways
- विपक्षी मांगों को अनसुना करना लोकतंत्र के लिए सही नहीं है।
- रॉबर्ट वाड्रा की स्थिति पर राजनीतिक नजरिया महत्वपूर्ण है।
- बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन का फॉर्मूला अभी तय नहीं हुआ है।
- सरकार को संवैधानिक मूल्यों का पालन करना चाहिए।
- सुप्रीम कोर्ट की सिफारिशें चुनाव आयोग के लिए महत्वपूर्ण हैं।
नई दिल्ली, 19 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के महासचिव एमए. बेबी ने कहा कि पहलगाम हमले के बाद, विपक्षी दलों ने सरकार से संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की थी, लेकिन हमारी मांग को पूरी तरह से अनसुना किया गया।
उन्होंने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि विपक्ष की मांगों के बावजूद संसद का विशेष सत्र आयोजित नहीं किया गया। कुछ बैठकें आयोजित की गईं, जिसमें प्रधानमंत्री अनुपस्थित रहे। इस कारण विपक्षी दलों को संबंधित प्रश्न पूछने का अवसर नहीं मिला।
रॉबर्ट वाड्रा पर हुई कार्रवाई के बारे में उन्होंने कहा, "हमें इस मुद्दे को कई दृष्टिकोणों से देखना होगा। क्या केंद्र सरकार केवल विपक्षी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई कर रही है या यह सभी पर लागू हो रही है? भाजपा को अब 'वॉशिंग मशीन' के रूप में देखा जाता है, जिससे जुड़े लोग ईडी, आयकर, सीबीआई जैसी एजेंसियों से बचते हैं। कुछ लोग कार्रवाई से बचने के लिए भाजपा में शामिल हो जाते हैं। वाड्रा विपक्ष से जुड़े हैं, इसलिए उनके खिलाफ यह कार्रवाई हो रही है। हालांकि, वास्तविक अपराध के लिए की जा रही कार्रवाई उचित है।"
उन्होंने कहा कि विपक्ष सरकार पर लगातार संवैधानिक मूल्यों के क्षय को लेकर हमलावर रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने भी चुनाव आयोग के अधिकार को अधिक पारदर्शी बनाने की बात की है। चुनाव आयुक्तों के चयन में विपक्ष के नेताओं के विचार को शामिल किया जाना चाहिए। इन पदों पर नियुक्तियों पर किसी भी आपत्ति को प्रधानमंत्री को बताने का मौका विपक्ष को मिलना चाहिए।
बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। कम्युनिस्ट पार्टी बिहार में कांग्रेस और राजद के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ती है। आगामी विधानसभा चुनाव में सीट बाँटने का महागठबंधन का फॉर्मूला क्या होगा? इस सवाल का जवाब देते हुए एमए. बेबी ने कहा कि मैंने बिहार का दौरा किया था। इस विषय पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है।