क्या विश्व साक्षरता दिवस डिजिटल युग में शिक्षा के नए मायने उजागर करता है?

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क्या विश्व साक्षरता दिवस डिजिटल युग में शिक्षा के नए मायने उजागर करता है?

सारांश

विश्व साक्षरता दिवस के अवसर पर, हम यह विचार करते हैं कि क्या साक्षरता केवल पढ़ाई तक सीमित है? डिजिटल युग में शिक्षा का क्या महत्व है? क्या हम युवाओं को आत्मनिर्भर बना रहे हैं? जानिए डिजिटल साक्षरता और जीवन कौशल की आवश्यकता के बारे में।

Key Takeaways

  • साक्षरता केवल पढ़ाई नहीं, बल्कि सोचने-समझने की क्षमता है।
  • डिजिटल युग में साक्षरता का महत्व बढ़ गया है।
  • साक्षरता एक मौलिक मानव अधिकार है।
  • डिजिटल साक्षरता समाज में बराबरी लाने का साधन है।
  • हर बच्चे को डिजिटल रूप से सक्षम बनाना आवश्यक है।

नई दिल्ली, 7 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। सिर्फ पढ़ाई और लेखन को साक्षरता समझना गलत है, क्योंकि यह मनुष्य के सम्मान, बराबरी और अवसरों से भी संबंधित है। इसी कारण हर वर्ष 8 सितंबर को 'विश्व साक्षरता दिवस' मनाया जाता है। 1967 से चली आ रही यह परंपरा हमें यह याद दिलाती है कि साक्षरता केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि एक न्यायपूर्ण, शांतिपूर्ण और सतत समाज की आधारशिला है।

यूनेस्को के अनुसार, साक्षरता एक मौलिक मानव अधिकार है। यह न केवल व्यक्तियों को ज्ञान और कौशल प्रदान करती है, बल्कि उन्हें समाज में बराबरी का दर्जा और बेहतर जीवन जीने का अवसर भी देती है।

हालांकि, आज भी दुनिया में 73.9 करोड़ युवा और वयस्क निरक्षर हैं। 2023 में 27.2 करोड़ बच्चे और किशोर स्कूल से बाहर थे और चार में से एक बच्चा पढ़ने में न्यूनतम दक्षता प्राप्त नहीं कर सका। ये आंकड़े साक्षरता के सपने की अधूरी स्थिति को दर्शाते हैं, और यह केवल शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि संपूर्ण समाज की चुनौती है।

आज, शिक्षा, रोजगार, संचार और सामाजिक जीवन सभी कुछ डिजिटल प्लेटफॉर्म पर स्थानांतरित हो चुके हैं। यह बदलाव अवसर भी प्रदान करता है और चुनौतियां भी उत्पन्न करता है।

डिजिटल साक्षरता केवल कंप्यूटर चलाना नहीं है, बल्कि सही और गलत जानकारी में अंतर करने की क्षमता, प्राइवेसी और डेटा सुरक्षा को समझना, डिजिटल सामग्री का सुरक्षित उपयोग करना, और फेक न्यूज या डिजिटल पूर्वाग्रहों से दूर रहना भी है।

अगर सही दिशा में इस्तेमाल किया जाए, तो डिजिटल उपकरण लाखों हाशिए पर खड़े लोगों तक शिक्षा पहुंचाने का एक सशक्त माध्यम बन सकते हैं, लेकिन यदि सही दिशा नहीं मिलती, तो यह डबल मार्जिनलाइजेशन यानी दोहरी बहिष्कृति का कारण बन सकता है, न तो पारंपरिक शिक्षा और न ही डिजिटल अवसर।

कोविड-19 महामारी ने शिक्षा के क्षेत्र में गहरी चोट पहुंचाई। एक समय पर दुनिया के 62.3 प्रतिशत छात्रों की पढ़ाई बाधित हो गई थी। लाखों बच्चों के लिए ऑनलाइन शिक्षा संभव नहीं थी। इसने हमें यह सिखाया कि शिक्षा की खाई केवल किताबों की कमी से नहीं, बल्कि डिजिटल डिवाइड से भी गहरी होती जा रही है। हालांकि, इस कठिन दौर में कई देशों और संस्थाओं ने ठोस कदम उठाए।

भारत ने पिछले दशकों में साक्षरता दर बढ़ाने में महत्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन अब चुनौती यह है कि बच्चों को केवल स्कूल में भेजना ही नहीं, बल्कि उन्हें डिजिटल रूप से सक्षम भी बनाना आवश्यक है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भी डिजिटल लर्निंग और जीवन कौशल पर विशेष जोर दिया गया है।

विश्व साक्षरता दिवस हमें यह सोचने का अवसर प्रदान करता है कि क्या हम साक्षरता को केवल किताबों तक सीमित मानते हैं, क्या हम बच्चों और युवाओं को डिजिटल युग में आत्मनिर्भर बनने योग्य बना रहे हैं, और क्या हमारी नीतियां हर वर्ग तक पहुंच रही हैं।

साक्षरता केवल अक्षर ज्ञान नहीं है, बल्कि सोचने-समझने, सही चुनाव करने और जिम्मेदार नागरिक बनने की शक्ति है। डिजिटल युग में यह शक्ति और भी महत्वपूर्ण हो गई है।

Point of View

साक्षरता केवल शिक्षा नहीं है, यह एक सामाजिक जिम्मेदारी भी है। हमें यह सुनिश्चित करना है कि डिजिटल युग में हर बच्चे को सही शिक्षा मिले, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें।
NationPress
07/09/2025

Frequently Asked Questions

विश्व साक्षरता दिवस कब मनाया जाता है?
विश्व साक्षरता दिवस हर साल 8 सितंबर को मनाया जाता है।
साक्षरता का क्या मतलब है?
साक्षरता का मतलब केवल पढ़ाई या लेखन नहीं, बल्कि सोचने और समझने की क्षमता भी है।
डिजिटल साक्षरता क्या है?
डिजिटल साक्षरता में सही जानकारी की पहचान, प्राइवेसी और डेटा सुरक्षा को समझना शामिल है।
भारत में साक्षरता दर कैसे बढ़ी है?
भारत ने पिछले दशकों में साक्षरता दर में महत्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन अब बच्चों को डिजिटल रूप से सक्षम बनाना भी आवश्यक है।
क्या कोविड-19 ने शिक्षा को प्रभावित किया?
हाँ, कोविड-19 ने दुनिया भर में शिक्षा को गंभीर रूप से प्रभावित किया, जिससे लाखों बच्चों की पढ़ाई रुक गई।