क्या वित्त मंत्री सीतारमण जीओएम को जीएसटी सुधारों के बारे में संबोधित करेंगी?

सारांश
Key Takeaways
- सरकार ने सरल जीएसटी प्रणाली का प्रस्ताव रखा है।
- 5% और 18% की जीएसटी दरें प्रस्तावित हैं।
- मौजूदा 12% और 28% स्लैब हटाए जा रहे हैं।
- 40% की विशेष दर कुछ अवगुण वस्तुओं के लिए रखी गई है।
- बैठक का नेतृत्व बिहार के उपमुख्यमंत्री करेंगे।
नई दिल्ली, 20 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बुधवार को एक महत्वपूर्ण बैठक में मंत्रियों के समूह (जीओएम) को संबोधित करेंगी, जिसमें वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) फ्रेमवर्क में आगामी सुधारों पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
वित्त मंत्रालय ने एक सरल, द्वि-स्तरीय जीएसटी प्रणाली का प्रस्ताव रखा है, जिसमें एक 'स्टैंडर्ड' और 'मेरिट' स्लैब के साथ-साथ कुछ विशेष वस्तुओं के लिए अलग दरें भी होंगी।
केंद्र ने 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत की जीएसटी दर संरचना का सुझाव दिया है, जबकि कुछ अवगुण वस्तुओं के लिए 40 प्रतिशत की विशेष दर रखी गई है।
इस प्रस्ताव में मौजूदा 12 प्रतिशत और 28 प्रतिशत स्लैब को हटाने का सुझाव दिया गया है, जिसका उद्देश्य उपभोक्ताओं के लिए वस्तुओं को सस्ता बनाना है।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, हालांकि केंद्र जीओएम का सदस्य नहीं है, लेकिन दो दिवसीय जीओएम बैठक में वित्त मंत्री का संबोधन जीओएम को विचार प्रक्रिया की बेहतर समझ प्रदान करेगा।
इस बैठक का नेतृत्व बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी करेंगे, जो छह सदस्यीय समिति के संयोजक हैं। समिति केंद्र सरकार की सरल दो-स्लैब वाली जीएसटी संरचना अपनाने की योजना पर विचार करेगी।
प्रस्तावित प्रणाली वस्तुओं को दो श्रेणियों में विभाजित करेगी। 'मेरिट' वस्तुएं (5 प्रतिशत), जिनमें मध्यम वर्ग, एमएसएमई और किसानों को लाभ पहुंचाने वाली वस्तुएं शामिल होंगी और 'स्टैंडर्ड' वस्तुएं (18 प्रतिशत) जिनमें अधिकांश अन्य वस्तुएं और सेवाएं शामिल होंगी।
40 प्रतिशत की उच्चतम स्वीकार्य सीमा लगभग 5-7 अवगुण वस्तुओं, जैसे पान मसाला, तंबाकू और ऑनलाइन गेमिंग के लिए आरक्षित होगी।
जीएसटी रेट को रेशनलाइज करने के बाद 12 प्रतिशत की सीमा में शामिल लगभग 99 प्रतिशत वस्तुएं 5 प्रतिशत की दर पर आ सकती हैं।
इस प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय लेने के लिए जीएसटी परिषद की बैठक 18-19 सितंबर को होने की उम्मीद है।
सरकार का यह प्रस्ताव, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर की गई 'दिवाली से पहले अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधार' की घोषणा के अनुरूप है, जो संरचनात्मक सुधार, रेट रेशनलाइजेशन और ईज ऑफ लिविंग पर आधारित है।