क्या वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एमएसएमई सेक्टर के प्रतिनिधियों से प्री-बजट मीटिंग की?
सारांश
Key Takeaways
- प्री-बजट बैठक में एमएसएमई के विकास पर चर्चा हुई।
- डिजिटलाइज्ड सिंगल विंडो क्लियरेंस सिस्टम पर जोर दिया गया।
- कंपनी अधिनियम में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया गया।
- आगामी केंद्रीय बजट 2026-27 पर विचार विमर्श किया गया।
- किसान संगठनों और अर्थशास्त्रियों के साथ भी प्री-बजट बैठकें हुईं।
नई दिल्ली, 12 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को तीसरी प्री-बजट बैठक की अध्यक्षता की और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के प्रतिनिधियों के साथ आगामी बजट के इनपुट पर चर्चा की।
वित्त मंत्रालय ने जानकारी दी कि यह बैठक केंद्रीय बजट 2026-27 से संबंधित थी।
वित्त मंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर कहा, "वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आगामी केंद्रीय बजट 2026-27 के संदर्भ में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के प्रतिनिधियों के साथ तीसरी प्री-बजट बैठक की अध्यक्षता की।"
इस बैठक में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।
प्री-बजट चर्चा के तहत सरकार आने वाले बजट के इनपुट के लिए उद्योग के प्रतिनिधियों और अन्य पक्षकारों के साथ लगातार बैठकें कर रही है।
इससे पहले वित्त मंत्री ने किसान संगठनों और कृषि क्षेत्र से संबंधित अर्थशास्त्रियों के साथ भी प्री-बजट बैठक की थी।
दिन की शुरुआत में आई आईसोचैम की रिपोर्ट के अनुसार, सभी राज्यों में एमएसएमई के लिए निवेश माहौल में सुधार करने के लिए डिजिटलाइज्ड और समयबद्ध सिंगल विंडो क्लियरेंस सिस्टम एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है।
रिपोर्ट में व्यावसायिक नियमों को सरल बनाने, अनुमोदन प्रणालियों में सुधार लाने और भारत के एमएसएमई के विकास को बढ़ावा देने के लिए सुधारों में तेजी लाने की आवश्यकता जताई गई है। इसके अलावा, रिपोर्ट में कंपनी अधिनियम के तहत अनुपालन को आसान बनाने के लिए पंजीकृत एमएसएमई के लिए द्विवार्षिक या त्रैवार्षिक फाइलिंग साइकिल शुरू करने का सुझाव दिया गया है।
इससे पहले, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को आगामी केंद्रीय बजट 2026-27 के लिए देश के प्रमुख अर्थशास्त्रियों के साथ पहली प्री-बजट बैठक की थी।
इस बैठक में मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी. अनंत नागेश्वरन के साथ आर्थिक मामलों का विभाग (डीईए) से कई वरिष्ठ अधिकारी और कई अर्थशास्त्री शामिल हुए।