क्या वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल करना उचित है?: रामजीलाल सुमन

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क्या वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल करना उचित है?: रामजीलाल सुमन

सारांश

रामजीलाल सुमन ने वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की भागीदारी पर सवाल उठाते हुए इसे न्यायसंगत नहीं बताया है। सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्णय ने इस मुद्दे को और भी जटिल बना दिया है। जानें इस मामले में क्या है सभी की राय।

Key Takeaways

  • वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की भागीदारी पर विवाद है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने कुछ धाराओं पर अंतरिम रोक लगाई है।
  • धर्मों की संस्थाओं में केवल उन्हीं धर्मों के अनुयायी होने चाहिए।
  • रामजीलाल सुमन ने सरकार से हस्तक्षेप बंद करने की अपील की है।
  • कोर्ट ने कलेक्टर को व्यक्तिगत संपत्ति के विवादों पर निर्णय करने का अधिकार नहीं दिया।

आगरा, 15 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद जहां मुस्लिम समुदाय ने थोड़ी राहत महसूस की, वहीं कुछ विपक्षी नेता इसे अनुचित ठहरा रहे हैं। उनका कहना है कि किसी भी धर्म में सरकार का हस्तक्षेप किसी भी स्थिति में न्यायसंगत नहीं हो सकता।

समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन ने कहा कि वक्फ बोर्ड का संपूर्ण कानून ही दोषपूर्ण है। उन्होंने कहा कि विभिन्न धर्मों की संस्थाओं में केवल उन्हीं धर्मों के अनुयायी होने चाहिए। ऐसे में वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम लोगों को शामिल करना कदापि उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार को मुस्लिम समुदाय के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करना बंद कर देना चाहिए।

जानकारी के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि किसी भी कानून को संवैधानिक माना जाता है और उसके प्रावधानों पर रोक केवल दुर्लभ परिस्थितियों में लगाई जा सकती है। हालांकि, कुछ धाराओं पर अंतरिम रोक लगाते हुए कोर्ट ने स्पष्ट किया कि नागरिकों के अधिकारों से जुड़े मामलों में सतर्कता बरतनी जरूरी है।

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने यह आदेश सुनाया। कोर्ट ने 22 मई को इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा था। सोमवार को निर्णय सुनाते हुए सीजेआई गवई ने कहा कि पूरे कानून पर रोक लगाने का कोई आधार नहीं है, लेकिन कुछ धाराएं असंवैधानिक प्रतीत होती हैं और उन पर रोक आवश्यक है।

कोर्ट ने आदेश दिया कि कलेक्टर को नागरिकों की व्यक्तिगत संपत्ति के विवादों पर निर्णय करने का अधिकार नहीं होगा। इस संबंधी प्रावधान पर तत्काल रोक लगाई गई। इसके अलावा, वक्फ करने के लिए इस्लाम की पांच वर्षों की प्रैक्टिस की अनिवार्यता पर भी अंतरिम रोक लगाई गई है।

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ निकायों में गैर-मुस्लिमों की भागीदारी पर भी विचार किया। कोर्ट ने कहा कि वक्फ बोर्ड में तीन से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य शामिल नहीं किए जाएंगे और वक्फ परिषदों में कुल चार से अधिक गैर-मुस्लिम नहीं होंगे।

Point of View

यह स्पष्ट है कि वक्फ बोर्ड को धार्मिक स्वतंत्रता और समानता का सम्मान करना चाहिए। न्यायालय का निर्णय इस मुद्दे को और जटिल बनाता है, लेकिन अंततः समाज में समरसता बनाए रखने के लिए सभी को एक साथ आना होगा।
NationPress
15/09/2025

Frequently Asked Questions

क्या वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल करना उचित है?
रामजीलाल सुमन के अनुसार, यह उचित नहीं है क्योंकि प्रत्येक धर्म की संस्थाओं में केवल उसी धर्म के अनुयायी होने चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर क्या निर्णय दिया?
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 पर रोक लगाने से इनकार किया और कुछ धाराओं पर अंतरिम रोक लगाई।