क्या यशपाल शर्मा शब्दों के शिल्पी हैं? स्याही से उकेरी क्रांति की गाथा, हर शब्द में आंदोलन का समावेश

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क्या यशपाल शर्मा शब्दों के शिल्पी हैं? स्याही से उकेरी क्रांति की गाथा, हर शब्द में आंदोलन का समावेश

सारांश

क्या यशपाल शर्मा शब्दों के शिल्पी थे? इस लेख में हम उनकी क्रांतिकारी यात्रा को देखेंगे, जिसमें उन्होंने अपनी कलम के माध्यम से समाज में जागरूकता फैलाने का कार्य किया। उनकी लेखनी ने न केवल आंदोलन को समेटा बल्कि समाज के हर दर्द को भी उजागर किया।

Key Takeaways

  • यशपाल शर्मा ने लेखनी के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
  • उन्होंने गांधीवाद से शुरूआत की लेकिन क्रांतिकारी विचारों को अपनाया।
  • उनकी कृतियों में समाज के हर रंग की झलक मिलती है।
  • यशपाल की कहानी हमें संघर्ष और साहस का महत्व सिखाती है।
  • उनकी विरासत विचार और लेखन के रूप में जीवित है।

नई दिल्ली, 2 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पंजाब के एक छोटे से कस्बे फिरोजपुर छावनी में जन्मे यशपाल शर्मा एक ऐसे व्यक्तित्व थे, जिनकी जिंदगी में आग और कलम दोनों का अद्भुत संयोजन था। उनके पिता हीरालालज्वालास्वामी दयानंद के आदर्शों की तरह तेजस्वी बने, समाज और देश के लिए कुछ करे।

यशपाल की पढ़ाई घर पर शुरू हुई और बाद में वे गुरुकुल कांगड़ी गए। हालांकि, 14 साल की उम्र में एक गंभीर बीमारी ने उनके जीवन को प्रभावित किया। मां की चिंता और उम्मीद उन्हें लाहौर ले आई और डीएवी स्कूल में दाखिला लिया। इसी समय उनके विचार गांधीजी की स्वतंत्रता की लहर से प्रभावित होने लगे। रौलेट एक्ट के विरोध में सत्याग्रह में शामिल होकर उन्होंने गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक किया।

गांधीवाद का मार्ग उनके लिए स्थायी नहीं रहा। नेशनल कॉलेज लाहौर में पढ़ाई के दौरान वे भगत सिंह, सुखदेव और चंद्रशेखर आजाद जैसे महान क्रांतिकारियों से मिले। तभी से उनके भीतर क्रांति की चिंगारी जल उठी। उन्होंने बम बनाने का प्रशिक्षण लिया और गरम दल में शामिल होकर स्वतंत्रता संग्राम के साहसी कदम उठाए।

1929 में लाहौर बम फैक्ट्री में पकड़े जाने पर सुखदेव जेल गए और यशपाल फरार हो गए। 23 दिसंबर 1929 को उन्होंने लॉर्ड इरविन की ट्रेन पर बम फेंककर अंग्रेजों के खिलाफ साहसिक प्रदर्शन किया। जनवरी 1930 में भगवती चरण के साथ मिलकर ‘फिलॉसफी ऑफ दी बम’ लिखा। फरवरी 1931 में चंद्रशेखर आजाद की शहादत के बाद हिंदुस्तानी समाजवादी प्रजातंत्र सेना के कमांडर इन चीफ बने।

यशपाल के पोस्टर और पर्चे युवाओं में क्रांति का संदेश फैलाने लगे। लेकिन, अंग्रेज सरकार ने उनकी गतिविधियों को इतना खतरनाक माना कि 23 जनवरी 1932 को उनके सिर पर पांच हजार रुपए का इनाम रखा गया। एक दिन पहले, इलाहाबाद में पुलिस मुठभेड़ में उन्होंने अपनी हिम्मत दिखाई, लेकिन अंततः उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। कोर्ट ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई। जेल में ही उनका विवाह प्रकाशवती से हुआ, जो खुद भी क्रांतिकारी थीं।

जेल से रिहाई के बाद यशपाल ने बम और बारूद की जगह कलम को अपना हथियार बना लिया। उन्होंने विप्लव पत्रिका शुरू की और मार्क्सवादी विचारों को आम जनता तक पहुंचाया। प्रकाशवती उनके हर कदम में सहायक बनीं। विप्लव और उसके उर्दू संस्करण बागी ने अंग्रेजों की नींद उड़ा दी। यशपाल की कहानियों और उपन्यासों ने समाज की वास्तविकताओं को बेबाकी से उजागर किया।

उनकी लेखनी कभी न दबने वाली आवाज थी। 'पिंजरे की उड़ान,' 'वो दुनिया,' 'ज्ञानदान,' 'सिंहावलोकन,' और 'झूठा-सच' जैसी कृतियों में उन्होंने समाज के हर रंग और हर दर्द को उकेरा। उनकी कहानियों में गरीबों की पीड़ा, मजदूरों का संघर्ष और आम इंसान की जिंदगी की सच्चाई झलकती थी। यशपाल ने केवल कहानी नहीं लिखी, उन्होंने विचार और आंदोलन को शब्दों में ढाला।

उनकी जिंदगी में संघर्ष और साहस का सिलसिला कभी रुका नहीं। जेलों में बिताए सालों ने उन्हें कमजोर नहीं किया, बल्कि उनके लेखन को और गहराई दी। हर गिरफ्तारी, हर कठिनाई के बाद वे नए उत्साह के साथ समाज और साहित्य में कदम रखते।

आजादी के बाद भी उन्होंने समाज की विसंगतियों, सत्ता के दुरुपयोग और आम आदमी के दर्द पर लिखना जारी रखा। उनके उपन्यास और कहानियों ने आने वाली पीढ़ियों को सोचने पर मजबूर किया। 1970 में पद्म भूषण और 1976 में साहित्य अकादमी पुरस्कार उनके योगदान का सम्मान थे, लेकिन यशपाल की असली विरासत उनके विचार और लेखन हैं।

Point of View

बल्कि स्वतंत्रता संग्राम में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका संघर्ष और साहस हमें यह सिखाता है कि शब्दों में कितनी ताकत होती है।
NationPress
10/12/2025

Frequently Asked Questions

यशपाल शर्मा कौन थे?
यशपाल शर्मा एक प्रसिद्ध क्रांतिकारी और लेखक थे, जिन्होंने अपनी कलम के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
यशपाल शर्मा की प्रमुख कृतियाँ कौन सी हैं?
उनकी प्रमुख कृतियों में 'पिंजरे की उड़ान', 'वो दुनिया', 'ज्ञानदान' शामिल हैं।
यशपाल शर्मा को किन पुरस्कारों से सम्मानित किया गया?
उन्हें 1970 में पद्म भूषण और 1976 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
यशपाल शर्मा का योगदान क्या था?
उन्होंने समाज के हर दर्द को शब्दों में ढाला और स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाई।
यशपाल शर्मा ने किस प्रकार की पत्रिका शुरू की?
उन्होंने 'विप्लव' नामक पत्रिका शुरू की, जिससे मार्क्सवादी विचारों को फैलाने का कार्य किया।
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