क्या अस्थमा के उपचार के बाद भी रक्त में सूजन वाली कोशिकाएं बनी रहती हैं?

सारांश
Key Takeaways
- बायोलॉजिकल दवाएं गंभीर अस्थमा के इलाज में सहायक हैं।
- रक्त में सूजन वाली कोशिकाएं खत्म नहीं होतीं।
- इलाज को निरंतर जारी रखना आवश्यक है।
- शोध में उन्नत तकनीकों का उपयोग किया गया।
- भविष्य में अधिक प्रभावी उपचार विकसित करने की संभावनाएं।
नई दिल्ली, 26 जून (राष्ट्र प्रेस)। बायोलॉजिकल दवाएं या बायोलॉजिक्स गंभीर अस्थमा के मरीजों की जिंदगी में सुधार लाती हैं, लेकिन एक नए अध्ययन में पाया गया है कि इन दवाओं के उपयोग के बाद भी कुछ प्रतिरक्षा कोशिकाएं रक्त में बनी रहती हैं, जो सूजन को बढ़ाने में सहायक होती हैं।
स्वीडन के कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन में बताया कि गंभीर अस्थमा के इलाज में उपयोग होने वाली बायोलॉजिक दवाएं, जैसे मेपोलिजुमैब और डुपिलमैब, मरीजों की स्थिति में सुधार करती हैं, फिर भी ये रक्त में सूजन पैदा करने वाली कुछ इम्यून कोशिकाओं को समाप्त नहीं कर पातीं।
यह अध्ययन वैज्ञानिक पत्रिका 'एलर्जी' में प्रकाशित हुआ है। शोध में बताया गया है कि इन कोशिकाओं की उपस्थिति के कारण यदि इलाज बंद किया जाए तो एयरवे में सूजन पुनः शुरू हो सकती है।
शोधकर्ताओं ने 40 गंभीर अस्थमा के मरीजों के रक्त के नमूनों का विश्लेषण किया। इन दवाओं ने मरीजों के लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद की, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से सूजन पैदा करने वाली प्रतिरक्षा कोशिकाओं की संख्या में कमी की बजाय वृद्धि देखी गई।
कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट में टिश्यू इम्यूनोलॉजी की प्रोफेसर जेनी मोज्सबर्ग ने कहा, "बायोलॉजिक्स सूजन की जड़ को खत्म नहीं करतीं। यह दर्शाता है कि बीमारी को नियंत्रित करने के लिए इलाज को जारी रखना आवश्यक है।"
शोध में फ्लो साइटोमेट्री और सिंगल सेल सीक्वेंसिंग जैसी उच्च तकनीक का उपयोग किया गया जिससे प्रतिरक्षा कोशिकाओं के गुणों और कार्यों का पता लगाया गया।
शोधकर्ता लोरेंज विर्थ ने बताया, "इलाज के दौरान सूजन पैदा करने वाली कोशिकाएं कम होने की बजाय बढ़ गईं। यह बताता है कि इलाज में कमी या बंद करने पर एयरवे में सूजन क्यों लौट आती है।"
बायोलॉजिक्स पिछले एक दशक से गंभीर अस्थमा के इलाज में उपयोग हो रही है, लेकिन इसके लंबे समय तक के प्रभावों के बारे में जानकारी सीमित है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि इन दवाओं के लंबे समय तक उपयोग के प्रभावों को समझना आवश्यक है। रिसर्च टीम अब उन मरीजों के नमूनों का विश्लेषण करने की योजना बना रही है, जो लंबे समय से इलाज करवा रहे हैं। इसके साथ ही, वे फेफड़ों के ऊतकों की जांच करेंगे ताकि एयरवे में प्रतिरक्षा कोशिकाओं पर पड़ने वाले प्रभावों को समझा जा सके।
शोधकर्ताओं का मानना है कि इस खोज से भविष्य में अधिक प्रभावी उपचार विकसित करने में मदद मिलेगी।