क्या भारत ने अमेरिका का सबसे बड़ा स्मार्टफोन निर्यातक बनने में चीन को पीछे छोड़ दिया?

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क्या भारत ने अमेरिका का सबसे बड़ा स्मार्टफोन निर्यातक बनने में चीन को पीछे छोड़ दिया?

सारांश

क्या भारत ने अमेरिका का सबसे बड़ा स्मार्टफोन निर्यातक बनने में चीन को पीछे छोड़ दिया है? इस रिपोर्ट में जानें कैसे एप्पल और अन्य कंपनियों ने भारत की तरफ ध्यान दिया।

Key Takeaways

  • भारत ने अमेरिका में स्मार्टफोन के निर्यात में महत्वपूर्ण वृद्धि की है।
  • एप्पल की 'चाइना प्लस वन' रणनीति ने भारत को लाभ पहुँचाया है।
  • चीन से अमेरिका का शिपमेंट हिस्सा घट रहा है।
  • सैमसंग और मोटोरोला ने भी भारत में अपनी सप्लाई चेन को बढ़ाया है।
  • भारत का मैन्युफैक्चरिंग हब बनना वैश्विक व्यापार के लिए सकारात्मक संकेत है।

नई दिल्ली, 29 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। एक नई रिपोर्ट के अनुसार, चीन में असेंबल किए गए अमेरिकी स्मार्टफोन शिपमेंट का हिस्सा 2024 की दूसरी तिमाही में 61 प्रतिशत से घटकर 2025 की दूसरी तिमाही में 25 प्रतिशत रह गया है, और इस गिरावट का अधिकांश हिस्सा भारत ने अपने नाम किया है।

रिसर्च फर्म कैनालिस (जो अब ओमडिया का हिस्सा है) के मुताबिक, "मेड-इन-इंडिया स्मार्टफोन की कुल मात्रा में सालाना आधार पर 240 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और यह अब अमेरिका में आयातित स्मार्टफोन का 44 प्रतिशत हिस्सा बन गया है, जबकि 2024 की दूसरी तिमाही में यह केवल 13 प्रतिशत था।"

कैनालिस के प्रमुख विश्लेषक संयम चौरसिया ने कहा, "भारत 2025 की दूसरी तिमाही में पहली बार अमेरिका में बिकने वाले स्मार्टफोन का लीडिंग मैन्युफैक्चरिंग हब बन गया है, जिसका मुख्य कारण अमेरिका और चीन के बीच अनिश्चित व्यापार परिदृश्य में एप्पल का तेजी से भारत में सप्लाई चेन शिफ्ट करना है।"

एप्पल ने अपनी 'चाइना प्लस वन' रणनीति के तहत पिछले कई वर्षों में भारत में अपनी उत्पादन क्षमता का विस्तार किया है और 2025 तक अपनी अधिकांश निर्यात क्षमता को अमेरिकी बाजार में सप्लाई के लिए समर्पित करने का निर्णय लिया है।

चौरसिया ने बताया, "एप्पल ने भारत में आईफोन 16 सीरीज के प्रो मॉडल की मैन्युफैक्चरिंग और असेंबलिंग शुरू कर दी है, लेकिन अमेरिका में प्रो मॉडल की आवश्यक सप्लाई के लिए वह अभी भी चीन में स्थापित मैन्युफैक्चरिंग बेस पर निर्भर है।"

सैमसंग और मोटोरोला ने भी भारत से अमेरिका को टारगेटेड सप्लाई में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा दी है, हालांकि उनकी गतिविधियाँ एप्पल की तुलना में काफी धीमी और छोटे पैमाने पर हैं।

एप्पल की तरह, मोटोरोला का भी कोर मैन्युफैक्चरिंग हब चीन में है, जबकि सैमसंग मुख्य रूप से वियतनाम में अपने स्मार्टफोन के उत्पादन पर निर्भर है।

2025 की दूसरी तिमाही में संयुक्त राज्य अमेरिका में स्मार्टफोन शिपमेंट में 1 प्रतिशत की वृद्धि हुई, क्योंकि टैरिफ संबंधी चिंताओं के बीच विक्रेताओं ने डिवाइस इन्वेंट्री को आगे बढ़ाना जारी रखा।

चीन के साथ बातचीत के अनिश्चित परिणाम ने सप्लाई चेन के पुनर्निर्देशन को तेज कर दिया है।

एप्पल ने पहली तिमाही के अंत में तेजी से अपने स्टॉक का निर्माण किया और दूसरी तिमाही में भी इस स्तर को बनाए रखने की कोशिश की।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सैमसंग ने दूसरी तिमाही में अपने स्टॉक का विस्तार किया, जिससे उसके शिपमेंट में सालाना आधार पर 38 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिसमें मुख्य रूप से गैलेक्सी ए-सीरीज डिवाइस का योगदान रहा।

Point of View

मैं कहता हूं कि भारत की बढ़ती मैन्युफैक्चरिंग क्षमता और एप्पल जैसे वैश्विक ब्रांडों का समर्थन इसे एक महत्वपूर्ण ग्लोबल हब में बदल रहा है। यह न केवल भारत की अर्थव्यवस्था के लिए बल्कि वैश्विक व्यापार के लिए भी एक सकारात्मक संकेत है।
NationPress
29/07/2025

Frequently Asked Questions

भारत कैसे अमेरिका का सबसे बड़ा स्मार्टफोन निर्यातक बना?
भारत ने अपनी मैन्युफैक्चरिंग क्षमता में वृद्धि की है और एप्पल जैसी कंपनियों की मदद से अमेरिका को निर्यात बढ़ाया है।
चीन की स्थिति क्या है?
चीन में असेंबल किए गए अमेरिकी स्मार्टफोन का हिस्सा 2024 में 61% से घटकर 2025 में 25% रह गया है।
क्या एप्पल भारत में उत्पादन बढ़ा रहा है?
हाँ, एप्पल ने भारत में अपनी उत्पादन क्षमता को तेजी से बढ़ाया है।
सैमसंग और मोटोरोला का क्या हाल है?
सैमसंग और मोटोरोला भी भारत से अमेरिका की ओर सप्लाई बढ़ा रहे हैं, लेकिन उनकी वृद्धि एप्पल की तुलना में धीमी है।
क्या भारत की मैन्युफैक्चरिंग में भविष्य की संभावनाएँ हैं?
भारत की बढ़ती मैन्युफैक्चरिंग क्षमता और वैश्विक कंपनियों का समर्थन इसे भविष्य में एक महत्वपूर्ण ग्लोबल हब बना सकता है।