क्या हर तीसरा भारतीय मेटाबॉलिक डिसऑर्डर से प्रभावित है? जागरूकता जरूरी!

सारांश
Key Takeaways
- भारत में हर तीसरा व्यक्ति मेटाबॉलिक डिसऑर्डर से प्रभावित है।
- योग टाइप 2 डायबिटीज की रोकथाम में सहायक है।
- स्वास्थ्य जागरूकता को चिकित्सा पत्रिकाओं तक सीमित नहीं रखना चाहिए।
- रोकथाम का महत्व इलाज से ज्यादा है।
- फैटी लिवर और मोटापे जैसी बीमारियों की दर को 10 प्रतिशत तक घटाने का लक्ष्य।
नई दिल्ली, 30 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि भारत में हर तीसरा व्यक्ति किसी न किसी मेटाबॉलिक डिसऑर्डर से प्रभावित है। उन्होंने युवाओं में टाइप 2 डायबिटीज की रोकथाम के लिए एक व्यापक जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
रिसर्च सोसाइटी फॉर स्टडी ऑफ डायबिटीज इन इंडिया के स्थापना दिवस समारोह में उन्होंने चिंता व्यक्त की कि भारत को आज भी 'विश्व की डायबिटीज राजधानी' माना जाता है।
डॉ. सिंह ने डायबिटीज के बारे में फैली गलत जानकारियों पर चेतावनी दी। उन्होंने “दिन में एक बार भोजन” जैसे मिथकों का खंडन करते हुए डायबिटीज की देखभाल में भोजन की गुणवत्ता और मात्रा पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने की सलाह दी।
उन्होंने कहा, “हर तीसरा भारतीय किसी न किसी प्रकार के मेटाबॉलिक डिसऑर्डर से प्रभावित है।”
उन्होंने गैर-संक्रामक बीमारियों जैसे फैटी लिवर, विसरल फैट और मोटापे से संबंधित बीमारियों की दर को 10 प्रतिशत तक घटाने का लक्ष्य भी दोहराया।
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य जागरूकता को चिकित्सा पत्रिकाओं तक सीमित नहीं रखना चाहिए, बल्कि इसे आम जनता तक संस्थागत तरीके से पहुंचाना चाहिए। उन्होंने कहा, “डायबिटीज का इलाज होने से पहले करें, क्योंकि रोकथाम इलाज से बेहतर है।”
हाल ही में, डॉ. सिंह ने आरएसएसडीआई की एक स्टडी का उद्घाटन किया, जिसमें पता चला कि प्रतिदिन योग का अभ्यास करने से टाइप 2 डायबिटीज का खतरा 40 प्रतिशत तक कम हो सकता है।
उन्होंने कहा, “यह पहला ऐसा प्रयास है, जिसमें योग के माध्यम से टाइप 2 डायबिटीज की रोकथाम को वैज्ञानिक रूप से दर्ज किया गया है।” अध्ययन के अनुसार, नियमित योग करने वालों में डायबिटीज का जोखिम 40 प्रतिशत तक कम हो सकता है।
मंत्री ने कहा कि योग न केवल डायबिटीज की रोकथाम में सहायक है, बल्कि यह समग्र स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है।